Book Title: Shantinath Charitram
Author(s): Hargovinddas
Publisher: Jain Vividh Sahitya Shastramala
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महोपाध्यायश्रीमेघविनयगणिविनिर्मित
नैषधीयमहाकाव्यसमस्यारूपं श्रीशान्तिनाथचरित्रम् ।
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श्रियामभिव्यक्तमनोऽनुरक्तता
विशालसालत्रितयश्रिया स्फुटा । तया बभासे स जगत्त्रयांविभु
बलत्प्रतापावलिकीर्तिमण्डलः ॥१॥ निपीय यस्य क्षितिरक्षिणः कथाः
सुराः सुराज्यादिसुखं बहिर्मुखम् । प्रपेदिरेऽन्तःस्थिरतन्मयाशयाः
सदा सदानन्दभृतः प्रशंसया ॥२॥ १ श्रियाम् अभिव्यक्तं-शुद्धं मन उज्ज्वलं, श्रियां धवलत्वं पवित्रत्वात्, तत्र अनुरागः प्रणयः, स रक्तः। एवं च सितपीतयोरैक्यात् पीतत्वमपि सूचितम् , वप्रत्रये रूप्य-रै-रत्नमये वर्णत्रयं स्यादेव । 'श्रियां' इति बहुत्वं जिने सर्वज्ञत्वेन सर्वश्रीहामनुरागसूचकम् । 'प्राम्' इति मन्त्रपदसूचकम् ।

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