Book Title: Shaddarshan Sutra Sangraha evam Shaddarshan Vishayak Krutaya
Author(s): Sanyamkirtivijay
Publisher: Sanmarg Prakashan

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Page 6
________________ ऋण स्मरण (१) ज्ञानाराधन में आलंबनभूत तपस्वी सम्राट वर्धमान तपोनिधि स्व.पूज्यपाद आचार्य देवेश श्रीमद् विजय राजतिलकसूरीश्वरजी महाराजा । (२) दीक्षादाता सुविशाल गच्छाधिपति स्व. पूज्यपाद आचार्य देवेश श्रीमद् विजय महोदयसूरीश्वरजी महाराजा । (३) न्यायनिपुण पू.आ.भ. श्री. वि. चन्द्रगुप्तसूरीश्वरजी महाराजा । (४) परमोपकारी सुविशालगच्छनेता स्व. पू. आ. भ. श्री. वि. हेमभूषणसूरीश्वरजी महाराजा । (५) परमोपकारी प्रवचनप्रभावक पू. आ. भ. श्री. वि. कीर्तियशसूरीश्वरजी महाराजा । (६) परमवेयावच्ची, सौजन्यमूर्ति, परमोपकारी पू. आ. भ. श्री. वि. हर्षवर्धनसूरीश्वरजी महाराजा । (७) परमोपकारी विद्वद्वर्य पूज्य गुरुदेव पंन्यास प्रवर श्री दिव्यकीर्तिविजयजी गणीवर्य । (८) परमोपकारी वर्धमान तपोनिधि पू. गुरुजी पंन्यास प्रवर श्री पुण्यकीर्तिविजयजी गणीवर्य । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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