Book Title: Shaddarshan Sutra Sangraha evam Shaddarshan Vishayak Krutaya Author(s): Sanyamkirtivijay Publisher: Sanmarg PrakashanPage 11
________________ इस बृहद् योजना के अंतर्गत ही प्राचीन व अर्वाचीन श्रुतप्रकाशन का सुंदर व सुदृढ़ कार्य शुरू किया गया है। सूरिरामचंद्रसाम्राज्य के वर्तमानगच्छाधिपति प्रवचनप्रदीप पूज्यपाद् आचार्यदेव श्रीमद् विजय पुण्यपालसूरीश्वरजी महाराजा के आज्ञाशीर्वाद प्राप्त कर प्रवचनप्रभावक पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् विजय कीर्तियशसूरीश्वरजी महाराजा के शास्त्रीय मार्गदर्शनानुसार विविध श्रुतरत्नों का प्रकाशन 'शासनसिरताज सूरिरामचंद्र दीक्षाशताब्दी ग्रंथमाला' के उपक्रम से निर्धारित किया गया है। इसके सप्तम पुष्प स्वरूप " षड्दर्शनसूत्रसंग्रह एवं षड्दर्शनविषयक कृतयः " ग्रंथ का प्रकाशन करते हुए अतीव आनंद अनुभव कर रहे हैं। 7/C इस पुस्तक का संकलन-संपादन कार्य विद्वद्वर्य पृ. मुनिराज श्री संयमकीर्तिविजयजी महाराज ने करके महान उपकार किया है, तो सन्मार्ग प्रकाशन, अहमदाबाद ने भी अथक मेहनत से मुद्रण- प्रकाशन व्यवस्था में पूरा सहयोग दिया है, जिसके लिए उन सभी के भी उपकृत है। सभी कोई इस पुस्तक के पठन-पाठनादि से ज्ञानावरणीयादि कमों का क्षयोपशम पार मुक्तिमार्ग में आगे बढ़कर आत्मश्रेयः प्राप्त करें, यही हार्दिक भावना है। वि. सं. २०६८, माघ सुदी १३ रविवार दिनांक ५-२-२०१२ Jain Education International शासनसिरताज सूरिरामचंद्र दीक्षाशताब्दी समिति For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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