Book Title: Shadbhashamay Rushabh Prabhu Stava Author(s): Kalyankirtivijay Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 2
________________ 10 अनुसन्धान ३९ छे. छन्द मालिनी छे. आ स्तवमां कविए काव्यशक्तिनी साथे साथे अलङ्कारशास्त्र तथा व्याकरणना ज्ञाननो पण सफळ विनियोग को छे. तेमां पण प्राकृतनी पांच भाषाओ-मागधी, पैशाचिकी, चूलिका पैशाचिकी, शौरसेनी तथा अपभ्रंश-मां रचेली स्तुतिओमां तो तेओ जाणे व्याकरणना उत्सर्गो तथा अपवादोनां उदाहरणो आपतां होय ते रीते प्रयोगो करे छे. जेमके : (१) मागधीभाषामां क्ष नो श्क (क ) थाय छे, परंतु प्रेक्ष् तथा चक्षु धातुना क्ष नो स्क थाय छे. आ त्रणेय प्रयोगो कविए १०मा श्लोकमां कर्या छे. (२) शौरसेनी भाषामां धातु पछी आवेला क्त्वा-प्रत्ययनो इय तथा दूण आदेश थाय छे. पण कृ तथा गम् धातु पछी आवेल क्त्वा-प्रत्ययनो डडुअ आदेश थाय छे. आ त्रणेय प्रयोगो कविए २२मा श्लोकमां कर्या छे. आ ज रीते बीजा पण अनेक प्रयोगो बीजी भाषाओमां कविए कर्या छे जे व्याकरणना अभ्यासीओने रुचे तेवा छे. आ साथे, जे अलङ्कारो शृङ्गार अथवा वीर रसना वर्णन वखते वपराता होय तेवा अलङ्कारोनो पण कविए भक्तिरसमां भरपेट उपयोग करेल छे. कविए अर्थान्तरन्यास, निदर्शन, उत्प्रेक्षा, उपमा, विरोधाभास, व्याजस्तुति व. अर्थालङ्कारो तथा श्लेष, अनुप्रास, चकबन्धादि शब्दालङ्कारोनो उपयोग कर्यो छे. (जुओ श्लोको - २, ३, ४, ६, ७-८, १३, १८, २२, २९, ३९ वगेरे.) आम, आ श्रीऋषभप्रभु स्तव एक श्रेष्ठ काव्यरचना छे. कर्ता : आ स्तवना कर्ताए पोताना नामनो उल्लेख गर्भित रीते ३९मा श्लोकमां को छे. तेमां चोथा चरणमां रत्नाज्ञान० (रत्नज्ञान) एवं पद आवे छे, तेना उपरथी एवी अटकळ करी छे के कविनुं नाम ज्ञानरत्न होवू जोइए, जे निर्विवादपणे जैन मुनि ज छे. अने आ प्रतिमां बीजी बे कृतिओ खरतरगच्छीय मुनिओनी छे ते जोतां आ मुनि पण खरतरगच्छीय ज हशे, एम मानी शकाय. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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