Book Title: Satya Dipak ki Jwalant Jyot
Author(s): Kiranyashashreeji
Publisher: Atmanand Jain Sabha
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॥अहमः। एक साबिअंगरेजने विलायतको लिखाथाकि एककरावेदसहितासन्नाष्पकापुस्त क साकजननिश्रात्मारामजीको सरकारनेनेटदा खलनेनना चाहिये सोपुस्तकतोलमें ३५सेरपक्का
सोसरकारने गवरनरजनरलकीनीधजन्सा दिबकीमारफत मुझको जोधपुरमेंमिलादेयक्षवात
सत्प २ नवीनसाकयोंकोयडीदीसादीनादेसोकिसशा स्वानुसारे गुजरातमेतोनगवतीनायोगवाहोवे सोदीक्षादेवेदै विपल्ला उत्तर मैंपामरजीवनगवतकीममधाज्ञाधारा धनही सक्ता दिक्षातोमैनेसमावारीकारीतासे दीनादेखनगवतीकायोगतमिनेनदीवयादै यह मेरेमेन्यूनतादेऔरविना योगवट्यामैनग वतीपमुखशास्त्रमारमानमेवाताई शिष्माको वाचनादेताझंयसरीन्यूनतादैर और योग तोवापरंशास्त्रनहीपटादेशतीवकतिसकोमै गणिमानतारहाहंपदतीसरीन्यूनतादे३ श्रीर किसिनीगछकीसमाचार मेनेनदारयादेकि गणिगणिकोषगणिपददेवे परंभाचार्यगलि१. देदेवेढसलिखसर्वश्वाचायोकीसमाचारीयो है परंमैतापूर्वोक्तरीतीवालेकगलिमानतारदालंय धन्यूनताहै।
संवोधकरणमेश्रीदरिनइसरिजीने लिखाकिजो परियारीअलाचारीपासचेत्रादिकेपासजोको श्योगतथापक्षनादिकिया गुरुबुझिसेक्दै तिस कीसव कियार्मिफलहे उलटा वोहयोगोपकानाद कीकियाकरलेवाला पायश्चितकेयोपप्रथा २उसकोपायश्चितलेनावाहिय गाथा। वंदनमस गाईजोगुवहाणाइतपुरोविक्ष्यिं गुरुवुदिावि हलं सपछित्तनुरगंवाए। मैनेतो सेयोकेश्रा गेयोगवरनेवालोंकीकियासफलमानीथायद५, सुनता। भावाय उपाभायावविर३५वन्ति ४लिए पांचोऽसपजिसगलमेंनदोवे सोगच्चो २पल्लीसमानदै सम्पतरूपरत्नकादरनेवालासा गछदैऔरजयजीवाकोसंसारबमाकाहे है धैसेगछमें रुविहितसाफको एकमऊर्तमानी वसनानवाहियाजेकरसामान्पसाफदावेपर वोक्तपादोपुगिनननदोवेतो गदरखमेरदनाचा है।गाथा जनवश्ववि नचिगणेसोऊपनि सारिछो समत्तरयदरणे नवाबनवज्ञमण सीलोपतनऊत्तमित्त वसियवसविह एहिसाझदि जश्सामात्ममुलिलोनएलिणे तनदरंगेहाए। इनगाथाथानुसारमनदीव लसतारोरतपगछादिगछोकेसाफयोको वारपल्लासमानगछौरसाकयोको चोरासमा ननदीमानतातं यद६न्यूनता है
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