Book Title: Sanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Author(s): Yudhishthir Mimansak
Publisher: Yudhishthir Mimansak

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Page 10
________________ अन्तिम रूप से संशोधित परिष्कृत और परिवर्धित विद्वानों ने पीएच० डी० वा विद्यावरिधि उपाधि के लिये लिखा है । इनमें से निम्न मुद्रित शोध-प्रबन्ध हमें उपलब्ध हुए - १ - व्याकरण - वार्तिकः एक समीक्षात्मक अध्ययन - लेखकपं० वेदपति मिश्र । सन् १९७० । २ - चान्द्रवृत्तेः समालोचनात्मकमध्ययनम् - लेखक - पं० हर्षनाथ मिश्र । सन् १९७४ । ३ - काशिका सिद्धान्तकौमुद्यो: तुलनात्मकमध्ययनम् - लेखक पं० महेशदत्त शर्मा । सन् १९७४ । ४ - कातन्त्रव्याकरण - विमर्श: - लेखक - पं० जानकीप्रसाद द्विवेद । सन् १९७५ । ५ - काशिका का समालोचनात्मक अध्ययन वीर वेदालङ्कार । सन् १९७७ । ६ – न्यास-पर्यालोचनम् – लेखक - पं० भीमसेन शास्त्री । सन् १६७६ । - लेखक - पं० रघु ७ - पदमञ्जर्याः पर्यालोचनम् - लेखक - पं० तीर्थरामत्रिपाठी । सन् १९८१ । ८- श्रष्टाध्यायीशुक्लयजुर्वेदप्रातिशाख्ययोर्मत- विमर्शः । लेखकपं० विजयपाल आचार्य । सन् १९८३ । 1 अब उन शोध-प्रबन्धों का उल्लेख करते हैं, जो अभी तक छपे नहीं, परन्तु उन की टाइप कापी देखने के लिये उपलब्ध हुई हैं १ - काशिकायाः समीक्षात्मकमध्ययनम् - लेखिका - श्री कुमारी प्रज्ञादेवी प्राचार्या । सन् १९६९ । २ - प्रक्रियाकौमुदी और सिद्धान्त का तुलनात्मक अध्ययनलेखिका - कुमारी पुष्पा गान्धी ( अब - श्री पुष्पा खन्ना) एम० ए० । सन् १९७२ । - ३ - - बोपदेव की संस्कृत व्याकरण को देन - लेखिका - श्री शन्नो - देवी एम० ए० । ४- फिट्सूत्राष्टाध्याय्याः स्वरशास्त्राणां तुलनात्मक मध्ययनम्लेखक – पं० धर्मवीर शास्त्री । सन् १९८३ । -

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