Book Title: Sandergaccha ka Itihas Author(s): Shivprasad Publisher: Z_Aspect_of_Jainology_Part_3_Pundit_Dalsukh_Malvaniya_012017.pdf View full book textPage 8
________________ संडेरगच्छ का इतिहास २०१ प्रतिष्ठापक आचार्य का उल्लेख नहीं मिलता, तथापि ऐसा अनुमान किया जा सकता है कि उक्त प्रतिमायें भी शान्तिसुरि ने ही प्रतिष्ठापित की होगी। शान्तिसूरि (प्रथम) द्वारा प्रतिष्ठापित प्रतिमालेखों का विवरण इस प्रकार हैशांतिसूरि ( प्रथम ) द्वारा प्रतिष्ठापित प्रतिमालेखों का विवरण वि. सं. १२४५ ( तिथि विहीन लेख )' मंत्री यशोवोर द्वारा नेमिनाथ की प्रतिमा को देवकुलिका में स्थापित करने का इस लेख में विवरण दिया गया है। प्रतिष्ठा स्थान-देहरी संख्या ४५, विमलवसही ( आबू ) वि. सं. १२६९ माघ ३ शनिवार प्रतिष्ठा स्थान-जैन मन्दिर, अजारी भगवान् चन्द्रप्रभ की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख वि. सं. १२७४ वैशाखसुदि ३३ प्रतिष्ठा स्थान-जैन मन्दिर, डभोई वि. सं. १२९१ ( तिथि विहीन लेख )४ मंत्री यशोवीर द्वारा पद्मप्रभ की प्रतिमा को देवकुलिका में स्थापित कराने का विवरण प्रतिष्ठा स्थान-लूणवसही-आबू ( देहरी संख्या ४१ ) देहरो संख्या ४० पर भी वही लेख है, परन्तु इसमें सुमतिनाथ की प्रतिमा को देवकुलिका में स्थापित कराने का उल्लेख है । वि. सं. १२९७ वैशाख सुदि ३५ शान्तिसूरि के परिकर वाली प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख प्रतिष्ठा स्थान-जैन मन्दिर-अजारी वि. सं. १२९८ तिथि विहीन लेख मल्लिनाथ जिनालय, खंभात में मन्त्री यशोवीर के पुत्र देवधर, उसकी पत्नी देवश्री और उनके पुत्रों द्वारा नन्दीश्वरद्वीप की स्थापना का उल्लेख है। वर्तमान में यह चिन्तामणिपार्श्वनाथ जिनालय के गर्भगृह के बगल में दीवाल में स्थापित है। १. मुनि जिनविजय-पूर्वोक्त, भाग २, लेखाङ्क २१३ मुनि कल्याणविजय-प्रबन्ध पारिजात पृ० ३६२, लेखाङ्क १२१ २. मुनि जयन्तविजय-आबू, भाग २, लेखाङ्क ४० ३. मुनि बुद्धिसागर-जैन धातु प्रतिमा लेख संग्रह, भाग १, लेखाङ्क ५६ ४. मुनि कल्याणविजय-पूर्वोक्त, लेखाङ्क ४०-४१ (लूणवसही के लेख) ५. मुनि जयन्तविजय, आबू भाग ५ लेखाङ्क ४२३ ६. अमीन, जे० पी०-पूर्वोक्त, पृ० १४ एवं ३३ २६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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