Book Title: Sandergaccha ka Itihas
Author(s): Shivprasad
Publisher: Z_Aspect_of_Jainology_Part_3_Pundit_Dalsukh_Malvaniya_012017.pdf
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________________ Jain Education International ईश्वरसूरि ( चतुर्थ ) [ वि० सं० 1513-1519 प्रतिमा लेख ] शालिसूरि ( चतुर्थ ) [ वि० सं० 1519-1545 , ] सुमतिसूरि ( चतुर्थ ) [ वि० सं० 1545-1559 , ] शांतिसूरि ( चतुर्थ ) [ वि० सं० 1552-1572 , ] 1 [वि० सं० 1550 में सागरदत्तरास के रचयिता ] ईश्वरसूरि ( पंचम ) [ वि० सं० 1560-1595 प्रतिमालेख ] ललिताङ्गचरित, श्रीपालचौपाई, सुमित्रचरित्र आदि के रचयिता शालिसूरि ( पंचम ) [ कोई प्रतिमा लेख प्राप्त नहीं ] सुमतिसूरि ( पंचम ) [ ] शांतिसूरि (पंचम)[ / [इनके दो शिष्यों नयकुञ्जर और हंसराज ने वि० सं० 1650 में भोजचरित / की प्रतिलिपि की ] For Private & Personal Use Only संडेरगच्छ का इतिहास ? [वि० सं० 1689 प्रतिमालेख है परन्तु किसी मुनि | आचार्य का उल्लेख नहीं ] [वि० सं० 1728 एवं 1732 के प्रतिमालेखों में भी प्रतिमा प्रतिष्ठापक आचार्य या मुनि का उल्लेख नहीं ] वि० सं० 1732 के पश्चात् इस गच्छ का कोई भी साहित्यिक अथवा आभिलेखिक विवरण नहीं मिलता। : www.jainelibrary.org