Book Title: Sandergaccha ka Itihas
Author(s): Shivprasad
Publisher: Z_Aspect_of_Jainology_Part_3_Pundit_Dalsukh_Malvaniya_012017.pdf
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संडेरगच्छ का इतिहास और परस्पर गुरुभ्राता थे। ज्येष्ठताक्रम से इनका पट्टधर नाम निर्धारित हुआ था। शालिसूरि के पश्चात् ये क्रम से गच्छनायक के पद पर प्रतिष्ठित हुए। इनके द्वारा प्रतिष्ठापित तीर्थंकर प्रतिमाओं पर उत्कीर्ण अभिलेखों का विवरण इस प्रकार है
सुमतिसूरि (चतुर्थ) द्वारा प्रतिष्ठापित प्रतिमाओं पर उत्कोर्ण लेखों का विवरणवि. सं. १५४७ माघ सुदि १२ रविवार' वासुपूज्य स्वामी की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख प्रतिष्ठा स्थान-शत्रुञ्जय वि. सं. १५४९ ज्येष्ठ सुदि ५ सोमवार वासुपूज्य स्वामी की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख प्रतिष्ठा स्थान-पंचायती मंदिर, लस्कर-ग्वालियर वि. सं. १५५९ वैशाख वदि १ शनिवार पार्श्वनाथ प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख प्रतिष्ठा स्थान-अजितनाथ देरासर, शेख नो पाड़ो, अहमदाबाद शांतिसूरि (चतुर्थ) द्वारा प्रतिष्ठापित उपलब्ध प्रतिमाओं का विवरणवि. सं. १५५२ (तिथि विहीन प्रतिमा लेख)४ चन्द्रप्रभ स्वामी की चौबीसी पर उत्कीर्ण लेख प्रतिष्ठा स्थान-विमलनाथ जिनालय, चौकसीनी पोल, खंभात वि. सं. १५५५ ज्येष्ठ वदि १ शुक्रवार प्रतिष्ठा स्थान-नवखंडा पार्श्वनाथजिलानय, पाली वि. सं १५६३ माह (माघ) सुदि १५ गुरुवार मुनिसुव्रत स्वामी की प्रतिमा का लेख प्रतिष्ठा स्थान-सुपार्श्वनाथ जिनालय, जयपुर वि. सं. १५७२ वैशाख सुदि पंचमो सोमवार शान्तिनाथ प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख प्रतिष्ठा स्थान-आदिनाथ जिनालय, दिलवाड़ा, आबू
१. मुनि कंचनसागर-शत्रुञ्जयगिरिराजदर्शन, लेखाङ्क ४४९ २. नाहर, पूर्वोक्त, भाग २, लेखाङ्क १३८३ ३. मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग १, लेखाङ्क १०४१ ४. वही, भाग २, लेखाङ्क ७९२ ५. मुनि जिनविजय-पूर्वोक्त, भाग २, लेखाङ्क ३८५ ६. नाहर, पूर्वोक्त, भाग २, लेखाङ्क ११९० ७. वही, भाग २, लेखाङ्क १९९२
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