Book Title: Samyag Darshan Part 06 Author(s): Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai View full book textPage 4
________________ www.vitragvani.com निवेदन भगवान महावीर के ढाई हजार वर्षीय निर्वाण महोत्सव के इस मंगल वर्ष में, सम्यग्दर्शन सम्बन्धी पुस्तकों की श्रेणी में से आज छठवाँ पुस्तक साधर्मीजनों के हाथ में प्रदान करते हुए आनन्द होता है। ____ढाई हजार वर्ष पहले भगवान महावीर मोक्ष पधारे और अपने को भी मोक्ष का सन्देश प्रदान कर गये कि हे भव्यों! सम्यग्दर्शन-ज्ञानचारित्र, वह मोक्षमार्ग है; उस मार्ग से हम मोक्ष को प्राप्त हुए हैं और तुम भी मुक्त होने के लिये इस मार्ग का सेवन करो। अहा! भगवान द्वारा बताया हुआ मार्ग, महा आनन्द का मार्ग है। आज भी श्रीगुरुओं के प्रताप से वह मार्ग चल रहा है। इस मार्ग का मूल सम्यग्दर्शन... अहो! सच्चा सुखी जीवन प्रदान कर मोक्षमार्ग का खोलनेवाला सम्यग्दर्शन-इसकी महिमा की क्या बात ! इसकी जितनी महिमा करें उतनी कम है। ऐसे सम्यक्त्व का मार्ग इस काल में स्पष्ट करके पूज्य गुरुदेवश्री ने मुमुक्षु जीवों को निहाल किया है। आत्मा का सच्चा स्वरूप प्रतिबोधकर निरन्तर वे भव्य जीवों को सम्यक्त्व के मार्ग में ले जा रहे हैं। आज सम्यग्दृष्टि जीवों का दर्शन और सम्यक्त्व की आराधना आपश्री के प्रताप से ही सम्प्राप्त हैं। वह आपश्री का महान उपकार है। भगवान महावीर और समस्त तीर्थंकर भगवन्तों ने अपने को जो इष्ट उपदेश दिया है, उसका मन्थन करते-करते उसमें से सम्यग्दर्शन का अमृत निकलता है। सर्व सिद्धान्त के साररूप सम्यग्दर्शन, वह आत्मा का सच्चा जीवन है। मिथ्यात्व में तो निज स्वरूप की सच्ची सत्ता ही दिखाई नहीं देती थी। इसलिए उसमें भाव मरण से जीव दुःखी था और सम्यक्त्व Shree Kundkund-Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.Page Navigation
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