Book Title: Samyag Darshan
Author(s): Kanjiswami
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust

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Page 276
________________ पृष्ठ ७ NY K के ३२ शुद्धि पत्र पंक्ति अशुद्धि शुद्धि १२-१३ लक्ष्यकी....."कराऊं लक्ष्यरूप चैतन्य भगवान को परनिमित्त की अपेक्षासे पह चान कराऊ' १२ ऐसी ऐसा से न सेवन सर्वज्ञके सर्वके भाइज्जइ झाइजइ भावनास भावनासे भणतेन भणितेन मन्न्यता मान्यता को के रगाकी रागकी भावन भावना कमका कर्मका परार्थ कष्ट नष्ट २३ ज्ञान ज्ञात पूर्व छोड़कर छोड़कर अपनी रुई सम्यकदृष्टि के मिथ्या सम्यग्दृष्टिपने के जूठे सम्यग्दर्शन को सम्यग्दर्शन १४ जानत जानते होता है अर्हन्त और सिद्धमें मोत तत्त्वका समावेश होता है दशन दर्शन जीव जीव ३ १२७ १६५ पदार्थ १० १७० १७६ १८२ " १८४ २३६ १६३ २३४ १६

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