Book Title: Samyag Darshan
Author(s): Kanjiswami
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust

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Page 281
________________ मोक्षमार्ग प्रकाशक की किरणें-en>पृष्ठ ४७० भाग दूसरा नामूल्य २) जिसमें अध्याय सात के ऊपर पू० कानजी स्वामी के प्रवचनोंका सग्रह है। निश्चयाभासी, व्यवहाराभासी का क्या स्वरूप है, तथा उसकी प्रवृत्ति किस प्रकार की है । नव तत्त्व के सम्बन्ध में किस प्रकार की भूल प्रज्ञानी करते हैं तथा उसे सम्यग्ज्ञानादि की प्रवृत्ति में किस प्रकार की अयथार्थता रह जाती है, उसका विशद विवेचन है। मूक्ष्म और स्थल गलत मान्यतायें प्रात्म हित में बड़ी बाधक हैं इसलिये उसे जानकर आत्म हित रूप सच्चे प्रयोजन के लिये यह ग्रन्थ एकाग्रचित्तसे पढ़ने योग्य है। ADAL drapaag मोक्षशास्त्र दूसरी आवृत्ति मूल्य ५-० . are a इसमें सर्वज्ञ वीतराग कथित तत्वार्थो का और सम्यग्दर्शन-ज्ञानचारित्र आदि का विस्तृत निरूपण सुगम और स्पष्ट शैली से किया गया . है, सम्यक् अनेकांत पूर्वक नयार्थ श्री दिये गये हैं, जिज्ञासुओं के समझने के लिये विस्तृत प्रश्नोत्तर भी मय-प्रमाण द्वारा सुसंगत शाखाधार सहित दिये गये हैं । अच्छी तरह सशोधित और कुछ प्रकरण में खास प्रयोजनभूत विवेचन भी है । यह शाख महत्व पूर्ण होने से तत्त्वज्ञान के प्रेमियों को बार बार अवश्य पढ़ने योग्य है।

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