Book Title: Samyag Darshan
Author(s): Kanjiswami
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust

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Page 283
________________ 0 भेदविज्ञानसार (प्रवचन) पृष्ठ २७२ % मूल्य २) इसमें समयसारजी सर्वविशुद्ध ज्ञान अधिकार मे से गाथा ३९० से ४०४ तक के ऊपर खास सुगम व सुन्दर प्रवचनों का संग्रह है। मूल में भूल पृष्ठ १४० * मूल्य ०-७५ [ दूसरी आवृत्ति ] भैया भगवतीदासजी और कविवर बनारसीदासजी कृत निमित्तउपादान के दोहों पर सत्पुरुष श्री कानजीस्वामी द्वारा प्रवचन । जिसमें उपादानरूप निज शक्ति के अनुसार शुद्धरूप या अशुद्धरूप सभी परिणमन अपनी अपनी स्वतन्त्रता से होते है, अन्य तो निमित्रमात्र-व्यवहारमात्र कारण हैं, ऐसा न मानकर निमित्त के अनुसार कार्य माननामूलमें भूल है-यह स्पष्ट किया है । निमित्त नैमित्तिक सम्बन्ध क्या है ? पृष्ठ १८ दूसरी श्रावृत्ति मूल्य ०-१५ इस पुस्तिका में निमित्त-नैमित्तिक सम्बन्ध का वर्णन है। जैन सिद्धान्त प्रश्नोत्तरमाला भाग १-२-३ प्रत्येक का मूल्य ०-६५ [सेठी ग्रन्थमाला से प्रकाशित] ( पृष्ठ सं० भाग १-१२६, भाग २-१३७, भाग ३-१३८) जिसमें शाखाधारपूर्वक उत्तम प्रकार से जैन सिद्धान्त का सत्यस्वरूप समझने के लिये प्रश्नोत्तर दिये गये हैं। द्रव्य, गुरण, पर्याय, अभाव, कर्ता-कर्मादि छह कारक, उपादान निमित्त तथा निमित्त नैमित्तिक, सात सत्त्व, प्रमाण-नय-निक्षेप, अनेकान्त और स्याद्वाद, मोक्षमार्ग, जीव के प्रासाधारणभाव, गुणस्थानक्रम इत्यादि खास प्रयोजनभूत बातों का वर्णन स्पष्टता से किया है। काफी प्रचार हो रहा है, प्रथम भाग तीसरी बार छपा है।

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