Book Title: Samyag Darshan
Author(s): Kanjiswami
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust

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Page 286
________________ १० समयसार हिन्दी पद्यानुवाद छप रहा है अपूर्व अवसर नामक काव्य पर प्रवचन छप रहा है अनुभव प्रकाश · पृष्ठ १२६ मूल्य ०-५० जिसमें श्रात्मानुभव को सुगम-रीति से समझाया गया है । आत्मधर्म ( मासिक पत्र ) (ले० दीपचन्दजी साधर्मी ) आत्मधर्म फाइलें [ सजिल्द ] वार्षिक मूल्य ३ -०० जैन धर्म वस्तु स्वभाव है, संप्रदाय नहीं है । वस्तुतः विश्व के सभी पदार्थो का वास्तविक स्वरूप जैसा है वैसा दर्शाकर आत्मकल्याण का सच्चा उपाय बतलाने वाला विश्वदर्शन जैन धर्म है, परम उपकारी पूज्य सत्पुरुष श्री कानजी स्वामी के प्रवचनों का सार इसमें दिया जाता है । उसको यथार्थरूप में समझकर प्रात्मकल्याण कीजिये । श्रात्मधर्म पत्र तथा उसकी गत वर्षो की फाइलें पवित्रज्ञान निधि हैं । प्रवश्य पढ़िये - मनन कीजिये । नमूने के अंक भेट में मिल सकते हैं । वर्ष १. ३. ५. ६. ७. ८. १० प्रत्येक का मूल्य ३-७५

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