Book Title: Samveg Rangshala
Author(s): Padmvijay
Publisher: NIrgranth Sahitya Prakashan Sangh

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Page 2
________________ • नमो नाणस्स. श्री आत्मवल्लम ललित पूर्णानन्द मकाशचन्द्र सूरीभ्यो नमः पूज्य आचार्य श्री जिन चन्द्र सूरीश्वर रचित संवेगरंगशाला (वैराग्य रंग की नाट्य भूमि अथवा नाटकशाला) अनुवादकर्ता भारत दिवाकर युगवीर जैनाचार्य श्रीमद् विजय वल्लभ सूरीश्वर जी म० के पट्टधर मरूधर देशोद्धारक आचार्य भगवन्त श्रीमद् विजय ललित सूरीश्वर जी म० के पट्टधर महान तपस्वी आचार्य देव श्रीमद् विजय पूर्णानंद सूरीश्वर जी के पट्टधर अनेक तीर्थोद्धारक महान् तपस्वी, उत्तर प्रदेशों द्धारक आचार्य भगवन्त श्रीमद् विजय प्रकाशचन्द सूरीश्वर जी म० के शिष्य रत्न पन्यास श्री पद्म विजय म० गणीवर्य प्रकाशक श्री निर्ग्रन्थ साहित्य प्रकाशन संघ बिल्ली और मेरठ

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