Book Title: Sammetshikhar Giri Ras Author(s): Shilchandrasuri Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 5
________________ 45 January-2003 जनमै रे जिनराज सुरपति आवै रे सब महोच्छव काज के त्रिभुवनपति तिलकमा रे उगति कै सुख साज क ||२|| (?) अजित अयोध्या जिन पुरी रे सावथी संभवस्वांम वनिता अभिनंदन प्रभू सुमति प्रणमूं रे कौसल्या ठाम क ॥३॥ कौसंबी जिन पदमप्रभू रे वणारसियै सुपास चंदाप्रभू चंद्रावती सुविध जनमे रे काकंदी मांहि कै ॥४॥ शीतल जिन भद्दिलपुरै रे सींहपुरी श्रेयांस कंपिलपुर विमलनाथजी रे अनंत अयोध्या रे लह(हो) अवतंस ||५|| रत्नपुरी मै धरमजिनेसर संतिनाथ गजगाम कुंथु गजपुर सहरमे रे हथिनागे अटारमो स्वाम क ||६|| मल्लिनाथ मिथिलाधिपती रे मुनिसुव्रत राजगृह राय महिलायै नमिनाथज़ी रे पासस्वामी रे बणारसी राय कै ॥७॥ यां नगर्यां प्रभू, जनम लह्यो रे वीस प्रभू जगदीस ए गिरि सहू शिव पामिया रे काउसगध्यान वीस महीश कै ॥८॥ ढाल ३ । आदर जीव० ए देशी ।। श्रीवीस जिनेशर सीधा इण गिरि गणधर साधु अनंतजी इण ठामै वलि सीझसी अनंता भासै इम भगवंतजी श्रीवीसजिनेशर० १ चैत्र सुदी पंचमी दिन सीधा अजित संभव जिनरायजी उज्वल ध्यान धरी काउसगे अजित (समेत ?) शिखर गिरि आयजी . .. .. श्री० २ अभिनंदन जिन चोथा स्वामी अष्टमी सुदि वैशाखजी इण ठामै शिव संपति पामी करी आगमनी साखजी श्री० ३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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