Book Title: Sammatitattvasopanam
Author(s): Labdhisuri
Publisher: Labdhisuriji Jain Granthamala Chhani
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वर्णनम्
विषया
. . | विषयाः ३०७ एकान्तभावनातो विशिष्टप्रद |३२६ शब्दस्य परमार्थतो वस्त्वभिः . शेऽक्षयसुखादिलाभो मुक्तिरिति .
धायकत्वाभावानुमानप्रदर्शनम् ६३ १ साधनम्
५९ ७ | ३२७ हेतोरसिद्धतानिराकरणम् ६३ ४ ३०८ मृत्वादिजातेः स्वाश्रयादर्था
३२८ स्वलक्षणे शब्दस्य संकेतानुप न्तरतानिरसनम्
पत्तिनिरूपणम् ३०९ मोक्षवादोपसंहारः ५९ २४ | ३२९ अशक्यक्रियत्वान स्वलक्षणे आदिवाक्यसाफल्यप्रदर्शनसोपाने समय इति वर्णनम्
३३० जात्यादौ समयाभाववर्णनम् ६३ १९ ३१० द्वितीयकारिकावतरणम् ६० २
३३१ बुद्धयाकारेऽपि न समयसम्भव ३११ द्वितीया कारिका
इति स्वमतोपसंहारः ६३ २२ ३१२ कारिकार्यव्याख्यानम्
३३२ सिद्धन्तिनाभ्रान्ततासाधकहे३१३ आदिवाक्यस्य प्रामाण्या
तोरसिद्धतोपवर्णनम् ६४ भाववर्णनम् .
३३३ सामाम्यस्य सिद्धत्वोपवर्णनम् ६४ ३१४ बाह्याथै शब्दस्य प्रामाण्य
३३४ भेदेनाप्रतिभासनासामान्य
नास्तीतिमतनिराकरणम् ६४ १४ ३१५ प्रेक्षापूर्वकारिताभङ्गाभावव्या.
३३५ व्यक्तिभिन्नतया जातर्बहिर्नाः वर्णनम्
विभास इति पक्षनिराकरणम् ६४ २० ३१६ आताः शब्दमन्तरेणैव प्रवर्त
३३६ न केवलं सामान्यबुद्धय॑क्तयो यन्तीति पूर्वपक्षरचनं ।
निमित्तमिति वर्णनम् ६४ २५ ३१७ तन्निराकरणम्
| ३३७ सामान्यमनपेक्षत्वात्सदाऽनुगत ३१८ आदिवाक्यसफलतावर्णनो
झानजनकं भवे पसंहारः
६१ १९
विधानम् शब्दसङ्केतसमर्थनसोपाने ३३८ सामान्यस्य सर्वसर्वगतत्येऽनु
पपत्तिप्रदर्शनम्
६५ १७ ३१९ अपोहा शब्दार्थ इति बौद्धम- | ३३९ स्वव्यक्तिसर्वगतत्वेऽपि दोषोतप्रदर्शनम्
६२ २
कीर्तनम् ३२० शब्दार्थो विधिरिति मतारम्भः ६२ ८
३४० अन्यत्रोत्पन्नघटादौ सामान्यस्य ३२१ द्रव्यगुणादीनां शब्दप्रवृत्ति
गमनाद्यसंभवदोषोद्भवनम् ६५ निमित्ततासाधनम्
३४१ अनेकान्तवादे नोक्तदोषसम्भव
.६२ ३२२ विधिवादिसम्मतसाध्यवि
इति निरूपणम्
६६ कल्पनया बौद्धन निरसनम् ६२ १७
३४२ साधारणासाधारणस्वरूपस्यै
कत्वविरोधनिरसनम् ६६ ३२३ शाब्दप्रत्ययस्य भ्रान्तत्यनिर्वि
| ३४३ द्विविधविरोधस्याप्य त्रासम्भव
इति घणेनम् ३२४ भ्रान्ततासाधनम्
६२ २३ | ३४४ तथा प्रत्यक्ष प्रतिभासमाने न ३२५ तत्रोक्तहेतोरसिद्धतानिगसः ६२ २४ विरोधादिदोष इत्यभिधानम् ६६ १८
६५
२.
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