Book Title: Sammatitattvasopanam
Author(s): Labdhisuri
Publisher: Labdhisuriji Jain Granthamala Chhani

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Page 21
________________ विषयाः पृ.- पं. | विषया: २६८ स्वरूपासिद्धथुद्भावनम् ... ५३ ११ | २८८ स्वोक्तसत्ताहेतोः साधनम् ५५ २६९ प्रतिवाद्यसिद्धताप्रकाशनम् ५३ १५/ २८९ क्षणिके क्रमयोगपद्याभ्यामर्थ.. २७० समवायस्य सदसद्भावे दोषा क्रियाऽसम्भवनिरूपणम् ५६ १ विष्करणम् २९. परिणामानभ्युपगमे कृत२७१ सम्बन्धिषु विशेषाङ्गीकारेऽपि कत्वादिवस्तुस्वभावानुपपति दोषोद्भावनम् वर्णनम् २७२ समवायस्यानुगतैकस्वभावता २९१ एवं सत्प्रतिपक्षदोषाभिसुषणम् धानम् २७३ व्यावृत्तस्वभावतादूषणम् ५३ २६ | २९२ सुखादिसन्तानस्य निवृत्य २७४ प्रत्यक्षेणानेकानुगतकस्वभाव सिद्धिवर्णनम् ग्रहणं न सम्भवतीत्यभिधानम् ५३ २७ २९३ आरब्धसञ्चितयोरुपभोग२७५ सम्बन्ध इति बुद्धया तस्य तत्वज्ञानाभ्यां क्षय इति दूषणम् ५६ सम्बन्धत्वेनाध्यवसाय विकल्प्य २९४ स्वमतेन सम्परज्ञानस्वरूप प्रथमपक्षे दोषवर्णनम् वर्णनम् २७६ द्वितीयविकल्पे दोषः २९५ चिदानन्दस्वरूपो मोक्ष इति २७७ तृतीयचतुर्थपक्षे दोषदानम् ५४ ६ पूर्वपक्षः २७८ पञ्चमविकल्पनिरासः २९६ सिद्धान्ते तन्मतस्य दूषणम् ५७ ८ २७९ इहबुद्धयवलेयत्वपक्षनिरासः ५४ १२९७ तदा सुखोत्पत्ती कारणप्रदर्शनम् ५७ ११ २८० समवायबुद्धयध्यवलेयत्वकल्प २९८ आत्मान्तःकरणसंयोगस्य निराकरणम् निराकरणम् २८१ इह बुद्धयापि न समवाय २९९ तत्र शरीरादेरपि कारणता प्रतीतिर्विकल्पानुपपत्तेरिति नेत्यभिधानम् कथनम् ३०० युक्त्यन्तरेण मुक्तावस्थायां २८२ उपादानोपादेयभूतबुद्धयात्मक शानसद्भाववर्णनम् प्रवाहलक्षण संतानत्वपक्षनिरास:५४ २२ ३०१ शानस्य ज्ञानान्तरोत्पादनस्व भावतयाऽन्यानपेक्षतासाधनम् ५८ २८३ पूर्वापरसमानजातीयक्षणप्रवा. दरूपसन्तानत्वनिराकरणम् ५४ २७ ३०२ सावचित्तसन्ताननिरोध. __स्वरूपमुक्तिप्रतिक्षेपः ५८ १५ २८४ व्यभिचाराविर्भावनम् ५५ २ ३०३ सान्धनिराश्रवचित्तसन्त२८५ अत्यन्तानुच्छेद्वत्स्वेव संता त्युत्पत्तिलक्षणमुक्तरुचितनत्वस्य सत्वेन विरुद्धता त्वनिरूपणम् कथनम् ३०४ सान्दयतासाधनम् २८६ शब्दबुद्धिप्रदीपादीनामत्यन्तानु- ३०५ विज्ञानसन्तत्त्यनुच्छेद पूर्वपच्छेदप्रसाधनम् ५५ ६ क्षिणोपदर्शितदोषस्योद्धरणम् ५८ २१ २८७ कालात्ययापदिष्टतानिरूपणम् ५५ १९ | ३०६ ज्ञानयोर्युगपद्धृत्तितावर्णनम् ५९ २ ५४ "Aho Shrutgyanam"

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