Book Title: Samaysara
Author(s): Kundkundacharya, Parmeshthidas Jain
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust

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Page 656
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates समयसार ६२२ | गाथा | पृष्ठ | | गाथा | पृष्ठ ८ १७१ शाद जह परदव्वं सेडदि | ३६३ | ४८४ | जीवस्साजीवस्स दु ३०९ । ४३६ जह परदव्वं सेडदि ३६४ | ४८४ | जीवादीसदहणं १५५ २३५ जह पुण सो चिय पुरिसो २२६ ३३२ | जीवे कम्मं बद्धं । १४१ । २०२ जह पुण सो चेव णरो २४२ । ३५७ | जीवे ण सयं बद्धं ११६ १८४ जह पुरिसेणाहारो १७९ २६७ | जीवो कम्म उहयं ४२ जह फलिहमणी सुद्धो २७८ ३९४ | जीवो चरित्तदंसण जह बंधे चिंतंतो २९१ ४०९ | जीवो चेव हि एदे ६२ । १०८ जह बंधे छित्तूण य २९२ ४१० | जीवो ण करेदि घडं १०० । १७० जह मज्जं पिबमाणो १९६ २९४ | जीवो परिणामयदे ११८ १८४ जह राया ववहारा १०८ | १७८ | जीवो बंधो य तहा २९४ । ४११ जह विसमुव जंतो १९५ | २९३ | जीवो बंधो य तहा २९५ । ४१५ जह सिप्पि दु कम्मफलं | ३५२ | ४७६ | जे पुग्गलदव्वाणं १०१ । जह सिप्पिओ दु कम्म ३४९ | ४७६ | जो अप्पणा दु मण्णदि २५३ ३६६ जह सिप्पिओ दु करणाणि । ३५१ ४७६ | जो इंदिये जिणित्ता ३१ । ६४ जह सिप्पिओ दु करणेहिं ३५० ४७६ | जो कुणदि वच्छलत्तं २३५ । ३४७ जह सिप्पिओ दु चिट्ठ | ३५४ ४७७ | जो चत्तारि वि पाए २२९ ३४१ जह सेडिया दु ण परस्स | ३५६ | ४८२ | जो चेव कुणदि सो चिय । | ३४७ | ४८३ जह सेडिया दु ण परस्स ३५७ . | ४८३ | जो जम्हि गुणे दव्वे १०३ । १७३ जह सेडिया दु ण परस्स ३५८ ४८३ | जो ण करेदि जुगुप्पं २३१ । ३४३ | जह सेडिया दु ण परस्स | ३५९ ४८३ | जो ण कुणदि अवराहे |३०२ ४२४ जा एस पयडीअटुं ३१४ ४४१ | जो ण मरदि ण य दुहिदो | २५८ ३७० जावं अप्पडिकमणं २८५ | ४०० | जो दु ण करेदि कंखं जाव ण वेदि विसेसंतरं ६९ | १२१ | जोधेहिं कदे जुद्धे | १७६ जिदमोहस्स दु जइया ३३ । ६७ | जो पस्सदि अप्पाणं १४ जीवणिबद्धा एए ७४ | १२९ | जो पस्सदि अप्पाणं १५ | ४१ जीवपरिणामहेदं । ८० | १४० | जो पुण णिरवराधो | ३०५ ४२६ जीवम्हि हेदुभूदे | १७५ | जो मण्णदि जीवेमि य ३३४ जीवस्स जीवरूवं |३४३ | ४७६ | जो मण्णदि हिंसामि य |२४७ | ३६२ जीवस्स जे गुणा केइ | ४९७ | जो मरदि जो य दुहिदो । २५७ ३७० जीवस्स णत्थि केइ ९६ | जो मोहं तु जिणित्ता जीवस्स णत्थि रागो । ५१ ९५ जो वेददि वेदिज्जदि |२१६ ३२२ जीवस्स णत्थि वग्गो ५२ | ९६ | जो समयपाहुडमिणं । ४१५ ५६७ जीवस्स पत्थि वण्णो ५० ९५ | जो सव्वसंगमुक्को | १८८ २८१ जीवस्स दु कम्मेण य | २०१ | जो सिद्धभत्तिजुत्तो २३३ ३४५ २३० ३४२ १०६ १०५ | १७ | २५० । ३७० ३२ ६५ Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com

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