Book Title: Samay ki Chetna Author(s): Chandraprabhsagar Publisher: Jityasha Foundation View full book textPage 7
________________ जीवन का तत्व कुछ ऐसी विशेषता लिये होता है कि बिना खोज यह अस्तित्व में रह ही नहीं सकता । एक वैज्ञानिक से अगर विज्ञान का अर्थ पूछो तो वह कहेगा - 'नवीनता की खोज ही विज्ञान है ।' राजनेता से राजनीति का अर्थ बताने को कहा जाएगा तो उसका उत्तर होगा— 'कुर्सी की खोज ही राजनीति है ।' समाजशास्त्री समाज को संगठित व विकसित करने के आयामों की खोज को ही समाजशास्त्र कहेंगे । किसी आध्यात्मिक व्यक्ति से पूछो तो वह अध्यात्म का अर्थ - आत्मा की खोज, सत्य की खोज, तत्व की खोज बताएगा । जहां-जहां खोज है, वहां-वहां मनुष्य का जीवन है । जिस दिन मनुष्य के हृदय से खोज की भावना समाप्त हो जाएगी, उस दिन वह चलताफिरता मुर्दा हो जाएगा । धर्म और अध्यात्म में यही तो फर्क है । इस फर्क को जरा समझने का प्रयास करें । धर्म का अर्थ है कुछ करते रहना और अध्यात्म का अर्थ है खोजते रहना । इसलिए क्रिया-कांड धर्म है जबकि सम्यक् दर्शन अध्यात्म है । शास्त्रों को पढ़ना धर्म है किन्तु ग्रात्म-चिंतन करना जीवन का अध्यात्म है । किसी तरह का बाना पहनकर चारित्र्य का पालन करना धर्म है, लेकिन अपनी अनुभूतियों में जीते रहना, स्वयं में विहार करना अध्यात्म है । जीवन में धर्म की जरूरत होती है, क्रिया-कांड भी चलता है, लेकिन जीवन में अध्यात्म का अभ्युदय परम सौभाग्य की बात है । ताब मंजिल, रास्ते में मंजिलें हर कदम एक मंजिल था, मगर ( २ ) Jain Education International For Personal & Private Use Only हजारों थीं, मंजिल न थी । www.jainelibrary.orgPage Navigation
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