Book Title: Samarpan Dedication Badi Diksha of Sadhvi Sanghmitraji
Author(s): JAINA Education Committee
Publisher: Veerayatan

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Page 29
________________ अजयं सयमाणो उ पाणभूयाइं हिंसइ। बंधई पावयं कम्मं तं से होइ कडुयं फलं ।। ४ ।। अजयं भुंजमाणो उ पाणभूयाइं हिंसइ। बंधई पावयं कम्मं तं से होइ कडुयं फलं ।। ५ ।। अजयं भासमाणो उ पाणभूयाइं हिंसइ। बंधई पावयं कम्मं तं से होइ कडुयं फलं ।। ६ ।। कहं चरे ? कहं चिट्ठे ? कहमासे ? कहं सए ? कहं भुंजन्तो भासन्तो पावं कम्मं न बंधई ? ।। ७ ।। जयं चरे जयं चिट्टे जयमासे जयं सए। जयं भुंजन्तो भासन्तो पावं कम्मं न बंधई ।।८।। सव्वभूयप्पभूयस्स सम्मं भूयाइ पासओ। पिहियासवस्स दंतस्स पावकम्मं न बंधई ।। ९ ।। पढमं नामं तओ दया एवं चिट्ठइ सव्वसंजए। अन्नाणी किं काही ? किं वा नाहिइ छेयं पावगं ? ।। १० ॥ सोच्चा जाणइ कल्लाणं सोच्चा जाणइ पावगं । उभयं पि जाणइ सोच्चा जं छेयं तं समायरे ।। ११ ।। जो जीवे वि न याणाइ अजीवे वि न याणई। जीवाजीवे अयाणंतो कहं सो नाहिइ संजमं ? ।। १२ ।। जो जीवे वि वियाणाइ अजीवे वि वियाणई। जीवाजीवे वियामंतो सो हु नाहिइ संजमं ।। १३ ।। जया जीवे अजीवे य दो वि एए वियाणई। तया गई बहुविहं सव्वजीवाणं जाणई ।। १४ ।। जया गइं बहुविहं सव्वजीवाण जाणई। तया पुण्णं च पावं च बंधं मोक्खं च जाणई ।। १५ ।। जया पुण्णं च पावं च बंधं मोक्खं च जाणई। तया निविदए भोए जे दिव्वे जे य माणुसे ।। १६ ।। जया निविंदए भोए जे दिव्वे जे य माणुसे। तया चयइ संजोगं सब्भितरबाहिरं ।। १७ ।। SAMARPAN - DEDICATION 28

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