Book Title: Sagarmal Jain Vyaktitva evam Krutitva
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 20
________________ 31|श्री रणवीरसिंह भदौरिया गीता में प्रतिपादित विभिन्न योगों का जीवाजी विश्वविद्यालय, वालियर) तुलनात्मक अध्ययन ग्वालियर 32 साध्वी दिव्याजनाश्रीजी संवेगरंगशाला : एक अध्ययन | जैन विश्वभारती वि.वि. लाडनूँ (राज.) 33 साध्वी मोक्षरत्नाश्रीजी आचारदिनकर में प्रतिपादित संस्कार | जैन विश्वभारती वि.वि. और संस्कार विधि लाडनूं (राज.) 34 साध्वी विचक्षणश्रीजी विशेषावश्यक के गणधरवाद और जैन विश्वभारती वि.वि. निववाद का समीक्षात्मक अध्ययन लाडनूँ (राज.) 35 | साध्वी विजयश्रीजी जैन श्रमणी संघ का अवदान जैन विश्वभारती वि.वि. लाडनूं (राज.) 36 साध्वी स्थितप्रज्ञाश्रीजी पिण्डनियुक्ति का समीक्षात्मक | जैन विश्वभारती वि.वि. अध्ययन लाडनूं (राज.) 37 साध्वी प्रीतिदर्शनाश्रीजी आचार्य यशोविजयजी का | जैन विश्वभारती वि.वि. आध्यात्मवाद | लाडनूं (राज.) 38 श्री प्रवीण जोशी भारतीय चिन्तन में कर्त्तव्य और विक्रम वि.वि. उज्जैन अधिकार की अवधारणा 39 श्री संजीव जैन गणधरवाद का दार्शनिक अध्ययन विक्रम वि.वि. उज्जैन 40 साध्वी प्रतिभाजी जैन संघ को श्राविकाओं का अवदान जैन विश्वभारती वि.वि. (प्रथम) लाडन (राज.) 41 साध्वी संवेगप्रज्ञाश्रीजी पंचसूत्र का समीक्षात्मक अध्ययन जैन विश्वभारती वि.वि. | लाडनूं (राज.) 42 साध्वी ज्योत्सनाजी रत्नाकरावतारिका में बौद्धदर्शन की | जैन विश्वभारती वि.वि. समीक्षा लाडनूं (राज.) 43 |साध्वी प्रतिभाजी आराधनापताका में समाधिमरण जैन विश्वभारती वि.वि. (द्वितीय) लाडनूँ (राज.) 44. साध्वी प्रमुदिताश्रीजी जैन दर्शन में संज्ञा की अवधारणा जैन विश्वभारती वि.वि. लाडनूं (राज.) 45.आशीष नागर राधा तत्त्व विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन 46.कु. तृप्ति जैन . जैनदर्शन में तनाव प्रबन्धन जैन विश्वभारती वि.वि. लाडनूं (राज.) प्रस्तुत 47 नवीन बुधोलिया महात्मा गांधी का दर्शन विक्रम विश्वविद्यालय, | उज्जैन प्रिस्तुत डॉ. सागरमल जैन - एक परिचय : 19 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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