Book Title: Sagarmal Jain Vyaktitva evam Krutitva
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 22
________________ सन 2. अवधेश कुमार सिंह | दं सिस्टम आव वैल्यूज इन जैन फिलासफी । 11979-80 3. कृष्णकान्त कुमार जैनधर्म के सम्प्रदाय 1980 4. ताड़केश्वर नाथ जैनधर्म में मोक्ष एवं मोक्षमार्ग 1980 | रामाश्रयसिंह यादव |जैन कर्म सिद्धान्त 1980 6. | सतीशचन्द्र सिंह जैनदर्शन में प्रमाण 1980-81 7. शिवपरसन सिंह आचार्य कुन्दकुन्द के दर्शन में आत्मा का स्वरूप 1980-81 8. अशोककुमार |उपासकदशांग के अनुसार श्रावक धर्म 1980-81 9. वीरेन्द्र कुमार जैनदर्शन में जीवन की अवधारणा | 1980-81 10. त्रिवेणीप्रसाद सिंह रत्नकरण्डश्रावकाचार के अनुसार गृहस्थ धर्म 1981 11. मुकुलराज मेहता जैनधर्म में आध्यात्मिक विकासः एक तुल. विवेचन 1981 प्रो. सागरमल जैन कृतित्वक्र ग्रन्थ का नाम प्रकाशन 1. जैन,बौद्ध और गीता के आचारदर्शनों राजस्थान प्राकृत भारती संस्थान, 1982 का तुलनात्मक अध्ययन, भाग-1 जयपुर एवं प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर | 2. जैन बौद्ध और गीता के आचारदर्शनों राजस्थान प्राकृत भारती संस्थान, 1982 का तुलनात्मक अध्ययन, भाग-2 जयपुर एवं प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर 3. जैन,बौद्ध और गीता का समाजदर्शन राजस्थान प्राकृत भारती संस्थान, | 1982 जयपुर 4. जैन, बौद्ध और गीता का साधना मार्ग राजस्थान प्राकृत भारती संस्थान, 1982 जयपुर 5. |जैनकर्म सिद्धान्त का तुलनात्मक राजस्थान प्राकृत भारती संस्थान, अध्ययन जयपुर 6. धर्म का मर्म पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, 1986 वाराणसी, प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर (द्वितीय एवं तृतीय संस्करण) 7. अर्हत्, पार्श्व और उनकी परम्परा पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, 1988 वाराणसी 8. ऋषिभाषित : एक अध्ययन राजस्थान प्राकृत भारती संस्थान, 1988 जयपुर 9. जैन भाषा दर्शन भो. ल. भारतीय संस्कृति मंदिर, 1986 दिल्ली-पाटण 1982 डॉ. सागरमल जैन - एक परिचय : 21 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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