Book Title: Sagarmal Jain Vyaktitva evam Krutitva
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 29
________________ 27 जैन आगम साहित्य में श्रावस्ती | अप्रकाशित 28 जैन आगमों की मूल भाषा अर्द्धमागधी या विजयानन्दसूरि स्वर्गारोहण शताब्दी ग्रन्थ शौरसेनी (210575) 29 जैन आगमों में मूल्यात्मक शिक्षा और अष्टदशी वर्तमान सन्दर्भ (210580) 30 जैन आचार दर्शन एक मूल्यांकन (210584)| केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ 31 जैन आचार में अचेलकत्व और सचेलकत्व सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. ____ का प्रश्न (210586) वाराणसी 32 जैन आचार में उत्सर्ग मार्ग और अपवाद | सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. मार्ग (210588) वाराणसी 33 जैन साधना में ध्यान | यतीन्द्रसूरि दीक्षा शताब्दी स्मारक ग्रन्थ, मोहनखेड़ा 34 जैन एवं बौद्धधर्म में स्वहित एवं लोकहित | सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. ____ का प्रश्न (210604) | वाराणसी 35 जैन, बौद्ध और गीता के आचार दर्शन तुलसीप्रज्ञा, अंक 5 की शोध संक्षेपिका 36 जैन, बौद्ध और गीता के आचार दर्शनों में महावीर जयन्तीस्मारिका, जयपुर 1978 कर्म का शुभत्व, अशुभत्व और शुद्धत्व 37 जैनकर्म सिद्धान्तः एक विश्लेषण (210616) | सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. वाराणसी 38 जैनधर्म में नैतिक और धार्मिक कर्तव्यता सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. का स्वरूप (210635) | वाराणसी 39 जैनदर्शन और आधुनिक विज्ञान (210655) | सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. | वाराणसी 40 जैनदर्शन में आत्माः स्वरूप एवं विश्लेषण | सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. (210679) वाराणसी 41 जैनदर्शन में तर्क प्रमाण का आधुनिक | दार्शनिक, अक्टूम्बर 1978 संदर्भ में मूल्यांकन 42 जैनदर्शन में ज्ञान के प्रामाण्य और कथन | सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. . की सत्यता का प्रश्न (210690) वाराणसी 43 जैनदर्शन मे निश्चय एवं व्यवहार नय | दार्शनिक त्रैमासिक, जुलाई 1974 डॉ. सागरमल जैन - एक परिचय : 28 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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