Book Title: Sadaivvatsakumar Charitram Author(s): Matisagar, Manishankar Chaganlal Shastri Publisher: Ratilal Keshavlal View full book textPage 9
________________ इत्युक्तवान्नृपस्ताँश्च पश्यन्दोषंसमाहितः / अनाहूतस्यसंवेशे जनानांसंगमे खल्लु // 40 // | यःप्रविशत्यनाहूतोऽपृष्टश्चबहुभाषते / अदत्तमासनंभेजे स पार्थ पुरुषाधमः // 41 // | उत्सुका नैव जायन्तां सावधाना भवन्तु भोः। सचिवा नूनमत्रापि नरःसत्वागमिष्यति // 42 // एवं वदत एवाग्रे तस्यराज्ञः समागमत् / दूतोऽधिगुणसंपन्नस्तेनोक्तं देव कर्ण्यताम् // 43 // सदयवत्समत्राहमाह्वयितुं नृपागतः / सीलवाहनभूपेन प्रेषितः सुधियाऽस्मि भोः // 44 // ततो राज्ञा कुमारोहि प्रेषितोमन्त्रिभिःसह / बहुसैन्यसमायुक्तो भूषणायैरलंकृतः // 45 // राज्ञोक्तं मन्त्रिणे सम्यग् व्ययार्थ यद्यसौसुतः मार्गयति धनंयद्यदर्पणीयं सुखेन तत् // 46 // कृपणत्वं न कर्तव्यं दानशौण्डे समागमे / कार्पण्यं क्रियमाणं वै यतोमहापकीर्तये !! 47 // औदार्यगुणयुक्तेषु कृपणो नैव शोभते / भद्रजातिगजेंद्रेषु यथा गर्दभमण्डलम् // 48 // राज्ञाच शिक्षितः सम्यग् मन्त्रीवै कृपणः सुधीः / स्तोकं स्तोक मदाद्दद्रव्यं कुमाराय व्ययाय वै॥४९ ऋणादपिमहान्कंपो दानस्यावसरेभवेत् / भीमः संकुचितोगात्रे दानदातव्यशङ्कया // 50 // कौरवहृतगोवालं कर्तुंगच्छंश्चवायुजः / हषादुल्लसितोधीरः सन्नाहं लातुमुद्यतः // 51 //Page Navigation
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