Book Title: Sadaivvatsakumar Charitram
Author(s): Matisagar, Manishankar Chaganlal Shastri
Publisher: Ratilal Keshavlal

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Page 8
________________ चरित्रम् श्री सदैववत्स सुमेरोराहृतानीव शृंगाणि कनकोत्कराः / गृहे गृहेऽपिदृश्यन्ते यत्र दारिद्यतस्कराः // 28 // - द्विपंचाशद्भटानां च स्थानं तद् विद्यते महत् / शूद्रकोकिलकादीना मन्यदप्युज्वलंबहु // 29 // योगिनीनां चतुःषष्टे निवासस्य शुभास्पदम् / नानाचित्रमयं रम्यं नानामणिविराजितम् // 30 // पुरेऽत्र प्रतिसामंतप्रणत्योन्नतविक्रमः / सीलवाहनभूपोऽस्ति जैनो निर्जितशात्रवः // 31 // गन्तःपुरदेवीनां प्रधाना कमलावती / सती राझो वरा राज्ञी सीलवाहनभूपतेः // 32 // | सीवलिंगा सुता तस्या बहुसुतेभ्य उत्तरम् / जाता निर्जितरम्मा वै रूपेण प्राणवत् प्रिया // 33 // अखिलानां जनानांच नयनमृगवागुरा / पितृभातृहृदाह्लादकारिणीन्दुमुखाम्बुजा // 34 // Ide| यस्याःपदांगुष्ठनखो मुखं च बिभर्ति पूर्णदुचतुष्टयंचाकलाचतुःषष्टिरुपैतुवासंतस्यांकथंसुभ्रविनोकुर्मायाम्।। | पाणिग्रहविधानाय तस्या राज्ञा सुकारितः / सर्वोपस्करसंयुक्तः स्वयंवरस्य मण्डपः // 36 // E तत्र राजकुमारा वै मिलिता आहृतास्तदा / एतच्छ्रुत्वा प्रधानाद्याः प्रभुवत्समथाऽब्रुवन् // 37 // अन्ये राजकुमारा वै स्वयंवरस्य मण्डपे / गता युष्मत्कुमारस्य ह्याकारणाय को पि न // 38 // अद्याप्यागतवान् राजन् स्वतस्तं प्रेषय प्रभो / उत्तमा नैवगच्छन्ति ह्यनाहृताः सुमेलने // 39 //

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