Book Title: Sadaivvatsakumar Charitram
Author(s): Matisagar, Manishankar Chaganlal Shastri
Publisher: Ratilal Keshavlal

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Page 10
________________ चरित्रम् श्री सदैववत्स तदेहे नागतः सर्वे पाण्डवा व्याकुलास्तदा / कृष्णन्यवेदयन् देहे नैति सन्नाहकः खलु // 52 // किं कर्तव्यं च भोकृष्ण धीरा भवत चाह सः / कृष्णो ब्राह्मणवेषेण याचनार्थं गतस्तदा // 52 // भीमस्तुवस्त्वभावेन नैवकिंचिच्चदत्तवान् / स संकुचितगात्रोऽभूत् खेदात् सन्नाह आगतः // 54 // विष्णुः स्वं प्रकटीच ह्येवंराजकुले व्ययम् / दर्बलोजायते दृष्टा भाण्डागारिक आगतम् // 55 // - इति न्यायं प्रबुध्यैव कुमारो मनसि व्यथाम् / आप तेन परं किंचिन्नाकथयत् स धीरधीः // 56 // - अर्थसंपत्तिकाले यः स्वजनैः कलहायते। तदों भ्रस्यते नूनं प्रतिष्टा तस्य हीयते // 57 // - कुटुम्बसमवायेन यत्कार्य क्रियते शुभम् / कालेन भवति प्रायस्तत्परिणामसुंदरम् // 58 // कुटुम्बकलहे न स्यात् कदा कार्य महागुणम् / अचिरेणैव कालेन भवेत्तदुःखदायकम् // 59 // विग्रहः खलु कुलेन नोचितो मोदतेऽरिकुलकल्पपादपः।कश्चरन्णभरेण सिंहयोःप्रीतिमेति न वने वनेचर... रंजयित्वा गतः सर्व स सौभाग्यादिभिर्गुणैः / नृपाणांसमुदायं वै सीवलिंग्याश्च धैर्यवान् // 61 // तत्र सदयवत्सो हि विवाहं कृतवान्गुणी / ब्राह्मणेभ्योधनंदत्वा वहुहर्पमयापच // 62 / / यस्ययोऽस्तिवरोभावी पूर्वकर्मप्रभावतः। सएवभवतिप्रायो नात्रकार्याविचारणा // 63 //

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