Book Title: Sadaivvatsakumar Charitram
Author(s): Matisagar, Manishankar Chaganlal Shastri
Publisher: Ratilal Keshavlal

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Page 7
________________ तस्य राज्ञी महालक्ष्मी नाम रूपवती सती सौंदर्यशीलसंपन्ना यतो देवांगनाधिका // 17 // - तस्याः पुत्रोऽभवद्राझ्याः सदयवत्ससंज्ञकः / रूप सौभाग्य लावण्य गुणयुतो महामतिः // 18 // द्विसप्ततिकलादक्षो रंजयामास स्वं पुरम् / बाह्यादपिपरं द्यूतक्रीडायां रसिकश्चसः // 19 // द्यूतस्य व्यसनंचातिप्रोक्तं दोषनिधानकम् / इतिपित्रोपदिष्टोऽपि मुंचति बहुधा न सः / / 20 // शशिनि खलु कलंक कंटकाः पह्मनाले / जलधिजलमपेयं पंडितेनिर्धनत्वम् // दयितजनवियोगो दुर्भगत्वं सुरूपे / धनवति कृपणत्वं रत्नदोषी कृतांतः // 21 // | क्रमेण यौवनं प्राप रम्यं सर्वमनोहरम् / व्यूढोरस्कः वृषस्कन्धो दृढभुजो महाबली // 22 // इतस्तस्मिंश्चकाले हि नवलक्षप्रमाणकैः / ग्रामैः संशोभिते देशे महाराष्ट्रसुनामके // 23 // E गोवत्सरीनदीतीरे दक्षिणापथमण्डनम् / समस्ति नगरं नाम्ना प्रतिष्ठानपुरंमहत् // 24 // E यत्र स्वर्णमयेदण्डैः कलशैश्चापिशोभिताः / पंचशतानि विद्यन्ते दशाधिकानि शोभनाः // 25 // प्रासादा गगने लग्ना विराजन्ते जिनप्रभोः / सहस्राधिकसंख्यानि ह्यन्यदेवालयानि च // 26 // यत्र कोटीश्वराणां च सुविंशतिसहस्रकाः। निवासा द्रव्यसंयुक्ता विद्यन्ते परमाद्भता: 27 //

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