Book Title: Sacchaye Prakirnak Dashake
Author(s): Agamoday Samiti,
Publisher: Agamoday Samiti
View full book text
________________
R
सवं चाहारविहिं सन्नाओ गारवे कसाए य । सर्व चेव ममत्तं चएमि सवं खमावेमि ॥१४॥७७॥ हुज्जा इमंमि
समए उवक्कमो जीवियस्स जइ मज्झ । एवं पच्चक्खाणं विउला आराहणा होउ ॥ १५ ॥ ७८ ॥ सबदुक्खपहीहैणाणं, सिद्धाणं अरहो नमो। सद्दहे जिणपन्नत्तं, पञ्चक्खामि य पावगं ॥१६॥७९॥ नमुत्थु धुयपावाणं, सिद्धाणं |च महेसिणं । संथारं पडिवजामि, जहा केवलिदेसियं ॥ १७ ॥ ८०॥ किंचिवि दुचरियं तं सचं वोसिरामि 8 तिविहेणं । सामाइयं च तिविहं करेमि सवं निरागारं ॥१८॥८१॥ बज्झं अभितरं उवहिं, सरीराइ सभोयणं है। मणसावयकाएहिं, सबभावेण वोसिरे ॥ १९ ॥ ८२ ॥ सवं पाणारंभं०॥ २०॥ ८३ ॥ सम्मं मे सधभूएसु० | ॥२१॥८४॥ रागं बंधं पओसंच, हरिसं दीणभावयं। उस्सुगत्तं भयं सोगं, रई अरइं च वोसिरे ॥ २२ ॥८॥ ममत्तं परिवजामि, निम्ममत्तं उवडिओ । आलंवणं च मे आया, अवसेसं च वोसिरे ॥ २३ ।। ८६ ॥ मनुपालयामि ॥१३॥ सर्वमाहारविधिं च सञ्ज्ञा गौरवाणि कषायांश्च । सर्वमेव ममत्वं त्यजामि सर्व क्षमयामि ॥ १४ ॥ भवेदस्मिन् समये | | उपक्रमो जीवितस्य यदि मम । एतत्प्रत्याख्यानं विपुलाऽऽराधना भवतु ॥१५॥ प्रक्षीणसर्वदुःखेभ्यः सिद्धेभ्योऽहट्यो नमः । श्रद्दधे जिनप्रज्ञप्तं प्रत्याख्यामि च पापकम् ॥ १६॥ नमोऽस्तु धूतपापेभ्यः सिद्धेभ्यश्च महर्षिभ्यः। संस्तारं प्रतिपद्ये यथा केवलिदेशितम् ॥ १७ ॥ यत् | | किच्चिदपि दुश्चरितं तत्सर्व व्युत्सृजामि त्रिविधेन । सामायिकं च त्रिविधं करोमि सर्व निराकारम् ।। १८॥ बाह्यमभ्यन्तरमुपधिं शरीरादि
सभोजनम् । मनोवाकायैः सर्वभावेन व्युत्सृजामि ॥ १९॥ सर्व प्राणारम्भं ॥२०॥ साम्यं मे सर्वभूतेषु० ॥२१॥ रागं बन्धं प्रद्वेषं च च.स.२४
हर्ष दीनभावताम् । उत्सुकत्वं भयं शोकं रतिमरति च व्युत्सृजामि ॥ २२ ॥ ममत्वं परिवर्जयामि निर्ममत्वमुपस्थितः । आलम्बनं च मे
CAMERASACS
AKAALCALGAORTER
Jan Education n
ational
For Personal Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 ... 286