Book Title: Sabha Shrungar
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Nagri Pracharini Sabha Kashi

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Page 9
________________ पद्मावत काव्य में अनेक वर्णन वर्णक शैली से प्रभावित है। उसमें घोडों और वस्त्रों की एव वृक्षों और पुष्पों की सूचियों वर्णक साहित्य की दृष्टि से गेचक हैं । और भी दो स्थानों पर पद्मावती के रूप-वर्णन एवं विवाह-खंड मे नायक नाविका का क्लिाम-वर्णन अथवा प्रारम्भ मे गढ और नगर वर्णन-इन पर यदि तुलनात्मक दृष्टि से विचार किया जाय तो वर्णक शैली का प्रभार स्पष्ट दिखलाई पड़ेगा। यह प्रसन्नता की बात है कि वर्णक साहित्य क्रमशः अब सामने आ रहा है। भारत की सभी प्रादेशिक भाषाओं में वर्णक ग्रन्यो की रचना हुई होगी, यह तथ्य युग युग के भारतीय साहित्य की विकास परम्परा के अनुकूल ज्ञात होता है। अतएच यह श्रावश्यक है कि जहाँ तक संभव हो प्रत्येक भाषा क वर्णक साहित्य को यहाँ के विद्वान प्रकाश में लाएं। जैसा श्री सुनीति बाबू ने लिखा है, बगला भाषा में राय बहादुर श्री दिनेशचन्द्र सेन को इस प्रकार का साहित्य कथा बाँचने वाले कथकों से प्राप्त हुआ था । मध्यकालीन वर्णक साहित्य का सर्वोत्तम प्रकाशन अभी तक गुजराती भाषा में हुआ है। श्री मुनि जिनविजय जी ने अपने प्राचीन गुजराती गद्य सन्दर्भ नामक अन्य के अन्तर्गत पृथ्वीचन्द्र चरित्र अपर नाम वाग्विलास (कर्ता श्री माणिक्यचन्द्र सूरि, वि० सं० १४७८ ) का प्रकाशन किया था। यह भी एक विशिष्ट वर्णक ग्रन्य है और वर्ण रत्नाकर के साथ तुलना करने से स्पष्ट विदित हो जाता है कि मध्यकालीन भारतीय साहित्य की सास्कृतिक पृष्ठभूमि कितनी दूर तक एक सदृश थी | नीवन की एक जैसी रहन सहन प्रत्येक प्रदेश में छाई हुई थी। इसी ग्रन्थ में ८४ हाटों की सूची सुरक्षित रह गई है। भारत की ६६ करोड ग्राम संख्या का उल्लेख भी इस ग्रन्थ में है जैसा म्कन्द पुराण के महेश्वर खण्ड के अन्तर्गत कुमारिका खण्ड में भी उल्लेख पाया है (पएणवत्येव कोव्यः ग्रामा , ३३१६३६ ) । जिस समय वह संख्या लिखी गई उस समय भारतवर्ष में भूमि एवं अन्य स्रोतों से समस्त राष्ट्रीय आय का अनुमान ६६ करोड कार्षापण किया जाता था। वर्णकों के संग्रह की दृष्टि से श्री साडेसरा द्वारा संपादित वर्णक समुच्चय, जिसका उल्लेख ऊपर हो चुका है, अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। इसमें लगभग १२ वर्णक मुद्रित हैं। प्रारम्भ मे विविध वर्णक नामक १०० पृष्ठों का १ वर्णक अन्य है जिसमें ये सूचियॉ महत्त्वपूर्ण है-राज लोक, पौर लोक, राजवर्णन (पृष्ठ १३-१४ ), नगर वर्णन (पृष्ठ २१-२२), देश सूची ( पृष्ठ २८-३७, इनमें भी ६६ करोड ग्राम का उल्लेख है), नगर प्रासाद वर्णन ( पृष्ठ ३२), ३६ राजकुली (पृष्ठ ३३), वस्त्र सूची ( पृष्ठ ३४-३५), जिसमें

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