Book Title: Ritthnemichariyam Part 3 2
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 12
________________ चउसट्टिमो संधि कोव-जलण-जालोलि-भयंकर कीयाकुल-कयंतु कुरु-डामरु बग-किम्मीर-हिडिंव-खयंकरु पय-भर-भग्ग-भुवंग-मडप्फरु पभणइ भीमु भीम-भड-भंजणु तुहुं वोल्लहि महुसूयण-सज्जणु ४ अज्जुण-सीसु णरिंद-सुहंकरु अण्णहो वयणु णेमि सय-सक्करु हत्थें छिवइ दोणु जइ राणउ तो हउं दहणे डहमि अप्पाणउं जायव जाहि काई किर वुच्चइ एक्कु भीमु पयरक्खु पहुच्चइ एम चवंतु णिवारिउ राएं कउ रक्खिज्जइ पई अ-सहाएं महु जसु अज्जुणेण पालिज्जइ धट्ठजुणेण दोणु पीडिज्जइ घत्ता विहसेविणु ताम विओयरेण सिणि-णंदणु एम मरिसावियउ। तुहुं पंचहिं पंकयणाह-समु खेड्डे मई रोसावियउ॥ तो ण्हायाणुविलित्त-तणु आउच्छिय-वंधव-सयणु। णर-मगेण समुच्चलिउ मंगल-सद्दु समुच्छलिउ ।। ४ वुच्चइ णंद वद्ध जय राएं अम्मणुअंचिउ भड-संघाएं गोमुह-डंवर-पडहप्फालिय मागह सूय वंदि वेयालिय लग्ग पढेवए तेत्थु पगामई इच्छिय जाइं किया-गुण-णामइं दाणइं देवि केवि सुणिमित्तई दहि दुव्वक्खय फलई विचित्तई संदणु वद्ध वम्मु ओणद्धउं उब्भिय-कंचण-सीह-महाधउ घोडा किय विसल्ल जुए जोत्तिय भीम-पमुह सुहि सव्व णियत्तिय चडिउ महारह-वीढे सुवित्थए णं पंचाणणु महिहर-मत्थए तोणालिद्ध-पुट्ठि धणु-करयलु भग्गालाण-खंभुणं मयगलु घत्ता णिउ रहु जोत्तार-तुरंगमेहिं अहिमुहु गुरु-थाणंतरहो। लक्खिजइ देवेहिं ढोइयउ मंदरु णं रयणायरहो। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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