Book Title: Purusharthsiddhyupay
Author(s): Amrutchandracharya, Munnalal Randheliya Varni
Publisher: Swadhin Granthamala Sagar

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Page 475
________________ maaaamanawalaanimilama AAAA - - - mma m milanmawasipormmarAAT MAITHynewण' पुरुषार्थसिद्धपुपाय पंक्ति २१ १२ वहीं है २३८ २३१ २४४ २४८ अशुद्ध टिपणी में ०१ के स्थान में नं० २, और नं २के स्थान में नं.१ समझना हिस्रः हिनाः चिकनाई विक्रवाई के वहा विश्याय विश्वास मांसा मांस विगीदाद निर्मामादि प्रस्यासन সংগ্রপ खुदकी खुदही जायगा जारहा है वरणानुयोग के लोकाचार के व्यवहार व्यवहर स्वभावभाव में स्वभाव भाषसे देता है সী पाप पाप नहीं लक्ष्य चाहये चाहिये रचमा रखना करता घरता : २६ टिप्पणी शुद्धभावो जा बेकार है जातर पाय कषाय चरित्र मोह भारित्रमोह सन्तुष्टी सन्तुष्टी ) .११ सन नगोंकि बेकार है नहीं चाहिये जसका उसको देवे भाणों २५८ २५९ २६२ गत २६७ २६८ २७० वहीं नहीं होगा नहीं होगा, है मिलकर

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