Book Title: Punyaharsh Rachit Lekh Shrungar Author(s): Mahabodhivijay Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 3
________________ ऐं नमः ।। आसाउरी ॥ दूहा . स्वस्ति श्रीऋषभंजिनं , श्री नाभिनरेन्द्रमल्हार । कनकवर्ण काय जेहनी, पंचशतधनुष उदार' ।। १॥ संतिकरण संतीश्वरू सोलसमु जिनचंद । अचिरा माता उअरई धर्यो, विश्वरेन नृपचंद ॥ २॥ निज भुजबल हरि तोलियो, तजी जेणई राजकुमार । गिरिवर रजइ संयम लीयो, जय जय नेमकुमार ॥ ३॥ महिमा जेहनु जागतु, पूरई वंछित आस । त्रेवीसमु तीर्थंकरु, संकट भंजन पास बालपणइं जेणइं चालियो, हेला मेरुगिरिंद । वासवचित्त चमक्कियो, अंतिम वीरजिणिदं इति पंचतीर्थी प्रति, प्रणमी लिखइ वर लेख । पुन्यहरष गुरु हीरनइ, फतेपुर नयर विशेष ॥ ६॥ हंसतणी परि उज्जलो, वर्णन अधिक विचित्र । पंडित इव ते साक्षसो, वर्ण सुवर्ण सचित्र ढाल आरब-हबस-रोम-खुरासान काबिलनइ कंकाल । सब्बर-बब्बर-भिभर-मुहर फरंगनइ प्रतिकाल जंगल-बंगल-गख्खर-भख्खर ठठानई बंगाल । हल्लार-लाहोर-उंच-महाउंच चीन-महाचीन-पंचाल ॥ ९|| भोट-महाभोट-लाट-कासमीर करणाट- बईघाट-बंबाल । उद्धृत-गुडंत- भुटंत- भोटियो भाटी भोम भंभाल ॥१०॥ ॥ ५॥ । ७॥ ॥ ८॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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