Book Title: Pravachana Saroddhar Part 2 Author(s): Hemprabhashreeji Publisher: Prakrit Bharti Academy View full book textPage 2
________________ प्रधान सम्पादक : साहित्यवाचस्पति म. विनयसागर प्राकृत भारती पुष्प-१२६ मा सिद्धान्तवेत्ता श्री नेमिचन्द्रसरि प्रणीत प्रवचन-सादार (द्धितीय भाग) (१११ से २७६ द्वारों का मूल, गाथार्थ एवं आगमज्ञ श्री सिद्धसेनसूरि रचित तत्त्वविकाशिनी टीका का हिन्दी विवेचन) अनुवादिका : महान आत्मसाधिका प.पू. अनुभव श्रीजी म.सा. की सुशिष्या साध्वी हेमप्रभाश्री सम्पादक : साहित्यवाचस्पति महोपाध्याय विनयसागर प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर श्री नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ, मेवानगर सेवा मन्दिर, रावटी-जोधपुर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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