Book Title: Pravachan Saroddhar Purvarddh
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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॥१५॥ छत्तीसं सूरिगुणा विणओ बावन्नभेयपेडिभिन्नो । चरणं करणं जंघाविजाचारणगमणसत्ती॥१६॥ परिहारविसुद्धि अहीलंदा निजामैयाण अडयाला । पणवीस भावणाओ सुहाउ असुहाउँ पणवीसं ॥१७॥ संखा महत्वयाणं किइकम्माण य दिणे तहा खित्ते । चारित्ताणं संखा ठियकप्पो अठियप्पो य ॥१८॥ चेइये पुत्थय दंडय तर्ण चम्म दुसाईं पंच पत्तेयं । पंच अवगहभेया परीसहा मंडली सत्त ॥१९॥ दसठाणववच्छेओ खैवगस्सेढी य उँवसमस्सेढी। थंडिल्लाण सहस्सो अहिओ चैउसहियवीसाए ॥२०॥ पुव्वाणं नामाइं पयसंखासंजुयाई चंउदसवि । निग्गंथा सैमणावि य पत्तेयं पंच पंचेव ॥ २१ ॥ गासेसाण पणगं पिंडे पाणे य एसैंणा सत्त । भिक्खारिया वीहीणमट्टगं पायछित्ताणं ॥ २२ ॥ सोमायारी ओहंमि पयविभागंमि तह य दसहा उ (चक्कवालंमि)। निग्गंधत्तं जीवस्स पंचवाराओ भववासे ॥२३॥ साहुविहारसरूवं अप्पडिबद्धो य सो विहेयध्यो । जायाजायकप्पो परिठवणुचारकरणदिसा ॥२४॥ अट्ठारस पुरिसेसुं वीसं इत्थीसु दस 'नपुंसेसुं । पवावणाअणरिहा तह वियलंगस्सरूवा य ॥ २५॥ मुलं जहकप्पं वत्थं सेजायरस्स पिंडो य । जत्तिय सुत्ते सम्म जह निग्गंथावि चउँगइया ॥ २६ ॥ खित्ते मग्गे काँले तहा पमाणे अईयमक्कप्पं । दुहेसुहसेजचउक्कं तेरस किरियाण
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