Book Title: Pravachan Saroddhar Purvarddh
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
View full book text
________________
२७६द्वारनिर्देशः
प्रव० सा
रोद्धारे तत्त्वज्ञानवि०
CMOSCOCCASCARSCROSCOR
उसहाइजिणिंदाणं आइमगणहँरपवित्तिणीनामा । अरिहंतऽज्जणठीणा जिणजणणीजणयनाम गेई ॥४॥ उकिट्ठजहण्णेहिं संखा विहरंततित्थनाहाणं । जम्मसमएऽवि संखा उक्विजहणिया तेसिं ॥५॥ जिणगणहर मुणि समणी वेउविय वौइ अहि केवलिणो । मर्णनाणि चउदसपुब्धि सेंड सड्डीण संखा उ ॥६॥ जिणजखा देवीओ त[माणं लंछणाणि वन्ना य । वयपरिवारो सव्वायं च सिवगमणपरिवारो ॥७॥ निव्वाणगमैणठाणं जिणंतरौई च तित्थवुच्छेओ। दसैं चुलसी वा आँसायणाउ तह पौडिहेराई ॥ ८॥ चउतीसाइसँयाणं दोसा अट्ठारसारिहचैउक्कं । निक्मणे नॉणमि य निव्वाणमि य जिणाणे तवो ॥९॥ भाविजिणेसरजीवा संखा उड्डाहतिरियसिद्धाणं । तह एक्कसमयसिद्धाण ते य पन्नरेसभेएहिं ॥१०॥ अवगाहणाय सिद्धा उक्किट्ठजहन्नमज्झिाए य । गिहिलिंगअन्नलिंगस्सलिंगसिद्धाण संखा उ ॥११॥ बत्तीसाई सिझंति अविरयं जाव अट्टहीयसयं । अट्ठसमएहिं एक्कक्कूणं जावेकसमयंतं ॥ १२॥ थीवेए पुंवेए नपुंसए सिझमाणपरिसंखा । सिद्धाणं संठाणं अवठिठोणं च सिद्धाणं ॥ १३ ॥ अवगाहणा य तेसिं उक्कोसों मज्झिमों जहन्नों य । नामाइ चउण्हंपि हु सासयजिणाहपडिमाणं ॥ १४ ॥ उवगरणाणं संखा जिर्णाण थविराण साहणीणं च । जिणकप्पियाण संखा उक्किट्ठा एगवसहीए
TESOURCES OSASCORSOAS
Jain Education
Konal
For Private & Personel Use Only
jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 444