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-६श्वेताम्बर मन्दिरों में स्थित दिगम्बर लेखों को भी इसमें स्थान दिया गया है जोकि लगभग ५० होंगे।
अन्त में मैं मान्यवर डा० श्री वासुदेवशरण अग्रवाल एम० ए० पी० एच० डी० का बहुत ही आभारी हूँ कि जिन्होंने मेरे अाग्रह को स्वीकार कर अत्यन्त व्यस्त रहने पर भी भूमिका लिखकर भेजने की की कृपा की । डा० श्री फतहसिंहजी का भी मैं कम कृतज्ञ नहीं हूँ जिनके तत्वावधान में यह ग्रन्थ प्रकाशित हो रहा है। साथ ही श्राद्धवर्य श्री उम्मेदमलजी नाहटा को भी धन्यवाद दिये बिना नहीं रह सकता, जिन्होंने इसका मुद्रण करवाकर आप लोगों के सन्मुख रखा है। श्रा० शु० ५
उपाध्याय विनयसागर
कोटा.
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