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गुल गये गुलशन गये, जगमें धतूरे रह गये । चाहनेवाले ना रहे, उल्लु के पठे रह गये ॥९३५ ॥
आदमको खूदा मत कहो, खूदा आदम नहि । लेकिन खुदा के नूर से, आदम जूदा नहि
॥२३६ ॥
जो कोई तुजको शूल वावे, बो तु उसीको फूल । तुजको फूल का फूल मीलगा, उसे बबूल के बबूल ॥२३७॥
कबीर कहे वनमें जाउ पता न तोडु, न कोई जीव सताउ । पतों पतों में साहिब मोरा, सब को शीष नमाऊ । २३८॥
मुजे सताले निवल जानके कभी समय वह आयगा। अपनी करनी का मुजसे ही, नीच शीघ्र फल पायगा २३९
बच्चू याद करो उस दीनको, अब समय हमारा आया है। देखो हमारी सबल मुंढको, इतना क्यों घबराया है ॥२४॥
तुलसी हाय गरीबकी, कबू न खाली जाय । मुवे ढोरके चाम से, लूहा भस्म हो जाय
॥२४१॥
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