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निवेदन
द्वितीय संस्करण
अस्सी वर्ष के बाद राष्ट्रीय भाषा में प्रणव-गीता का द्वितीय संस्करण प्रकाशित किया गया है।
मैं आशा करता हूँ कि साधु, सज्जन एवं क्रियावान पाठकगण यह प्रथ पाठ करके उपकृत होंगे।
श्री रामेन्द्रनाथ मुखोपाध्याय
प्रणव गीता भवन कलकत्ता-२६ ई. सन् १९६७