Book Title: Prakrit Vyakarana Author(s): Bechardas Doshi Publisher: Gujarat Puratattva Mandir Ahmedabad View full book textPage 7
________________ प्रवेश प्राकृतव्याकरणना शिक्षक अने शिष्य माटे आ पुस्तकना परिचय पुरती थोडी माहिती आ प्रमाणे छे: अहीं नीचेना चार मुद्दाओ विषे क्रमवार लखवानुं छे-- 1 रचनाशैली 2 प्राकृतभाषा 3 अर्धमागधी भाषा 4 प्राकृतभाषानां व्याकरणो 1 रचनाशैली आचार्य हेमचंद्रना प्राकृतव्याकरणने सामे राखीने आ पुस्तक लखवामां आव्युं छे पण क्रमने फेरववामां आव्यो छे. हेमचंद्रना प्राकृतव्याकरणमा सौथी पहेलां प्राकृतभाषानुं व्याकरण आपेलं छे अने पछी क्रमे शौरसेनी, मागधी, पैशाची-चूलिका पैशाची अने छल्ले अपभ्रंशनुं व्याकरण आपवामां आवेलुं छे त्यारे प्रस्तुत पुस्तकमां ए बधां व्याकरणोने साथे साथे समाववामां आव्यां छे एटले आ पुस्तकमां प्राकृतनुं व्याकरण आपतांजे जे नियममा शौरसेनी, मागधी, पैशाची-चूलिका पैशाची अने अपभ्रंशनी विशेषता होय ते पण साथे साये--प्राकृतभाषाना नियमनी साथे-ज आपवामां आवी छे. जेमके प्राकृतमा साधारण रीते क, ग, च, ज, त, द, प, ब, य अने व नो लोप थाय छे (जूओ पृ० 10) आ नियम आपवानी साथे ज तुलना थइ शके ए दृष्टिए एम पण जणाव्युं छे के, शौरसेनीमा त 'नो 'द' थाय छे, मागधीमा 'ज' नो 'य' थाय छे, पैशाचीमा 'द' नी त ' थाय छ अमे अपभ्रंशमां * क' नो ग' थाय छे (जो पृ० 12 अने 13)Page Navigation
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