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(४) बुद्धिचमत्कार की कहानियाँ
७०-७४
शिष्यों का संवाद - चतुर मन्त्री - एक क्षुल्लक और बौद्धभिक्षु - दिगंबर साधु और बौद्ध भिक्षु - कितने कौए
(५) नीति सम्बन्धी कथाएँ
पंचतंत्र नीति का शास्त्र - पंचतंत्र प्राकृत आख्यानों का विकसित रूप-पशुपक्षियों की कहानियाँ (सियार और सिंह; खसद्रुम गीदड़, घण्टीवाला गीदड़ लालची गीदड़; खरगोश और सिंह; बन्दर और बया; कौए और मरा हुआ हाथी) - अन्य कहानियाँ (पर्वत और मेघ; शेखचिल्ली; एक व्यापारी; सोचा था कुछ, हुआ कुछ; पारखी इभ्यपुत्र; एक लड़की के तीन वर; पति की परीक्षा; नाइन पंडिता; नूपुरपंडिता ।
(६) बौद्धों की जातक कथाएँ
जैन कथाओं और जातक कथाओं की तुलना ।
९४-११०
(७) श्रमण संस्कृति की पोषक वैराग्यवर्धक जैन कथाएँ श्रमण संस्कृति में निवृत्ति की प्रधानता-त्याग और वैराग्य प्रधान कथाएं - कबूतर और बाज़ - मधुबिन्दु दृष्टांत कुडुंग द्वीप के तीन मार्गभ्रष्ट व्यापारी । वैराग्योत्पादक लघु आख्यान - प्रतीकों द्वारा अटवी पार करने का आख्यान - दीपशिखा पर गिरने वाला पतिंगा-धान्य का दृष्टांत झुंटणक पशु का दृष्टांत - आगम साहित्य में दृष्टान्तों द्वारा धर्मोपदेश - आगमोत्तर कथा साहित्य में धर्मकथाएँ - औपदेशिक कथा साहित्य-चरित ग्रंथों में कथाएँ - पौराणिक आख्यानों में बुद्धिगम्य तत्त्व ।
(८) काव्य के विविध रूपों का प्रयोग-सुभाषित
३. वसुदेवहिण्डी और बृहत्कथा
४. जैन कथा साहित्य : कहानियों का अनुपम भंडार
१११-११४ ११५-१६३
वसुदेवहिण्डी और बृहत्कथाश्लोकसंग्रह - बिद्याधरों के पराक्रम कथा प्रसंगों की समानता ( कोक्कास बढ़ई, पुरुषों के भेद, गणिका पुत्री की कथा, गणिकाओं की उत्पत्ति; श्रेष्ठिपुत्र की कथा; गन्धर्वदत्ता का विवाह; विष्णुगीतिका; पुष्कर मधुपान; श्रेष्ठिपुत्र की देशविदेश यात्रा ।
७४-९२
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९२-९४
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१६५-१८०
जैन कथाओं में वैविध्य - अनुपलब्ध कथा साहित्य - आगम साहित्य और उत्तरकालीन कथा ग्रन्थों की शैली प्राकृत जैन कथाओं का विकास कथाओं का तुलनात्मक अध्ययन ( अगडदत्त कथानक कोक्कास बढ़ई; विष्णुकुमार मुनिः चारुदत्त की कथा, प्रसन्नचन्द्र और वल्कलचीरी की कथा; ललितांग की कथा; मधुबिंदु दृष्टांत) - कथानक रूढ़ियाँ और लोक जीवन - भाषा विज्ञान की दृष्टि से महत्त्व ।
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