Book Title: Prakrit Agam evam Jain Granth Sambandhit Aalekh
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 8
________________ विषय सूची : भाग -3 प्राकृत-आगमों एवं प्राकृत के अन्य - जैन ग्रंथों से सम्बंधित आलेख 2 cm * 5 आचारांगसूत्र एक विशलेषण आचारांग की मनोवैज्ञानिक दृष्टि रामपुत्त या रामपुत्त : सूत्रकृतांग के सम्बंध में अंतकृद्दशा की विषय वस्तु : एक पुनर्विचार प्रश्नव्याकरण की प्राचीन विषय-वस्तु की खोज जैन, बौद्ध और औपनिषदिक ऋषियों के उपदेशों : का प्राचीनतम संकलन : ऋषिभाषित . . मूलाचार : एक विवेचन उपांग साहित्य की सामाजिक एवं सांस्कृतिक सामग्री (एक संकलन) 112 राजप्रश्नीयसूत्र का समीक्षात्मक अध्ययन वृश्णिदशा : एक परिचय 158 राजप्रश्नीयसूत्र में चार्वाक मत का प्रस्तुतिकरण एवं समीक्षा प्राचीन जैनागमों-आचारांग, सूत्रकृतांग और ऋषिभाषित में चार्वाक दर्शन का प्रस्तुतिकरण एवं समीक्षा जैन आगम साहित्य में श्रावस्ती 179 अंगविजा में जैन मंत्रों का प्राचीनतम स्वरूप आचार्य हरिभद्रकृत सावमधम्मं विहिपयरणं : एक परिचय 190 अंगविजा और नमस्कार मंत्र की विकास यात्रा 197 144 161 166 13. 183

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