Book Title: Prakaranmala
Author(s): Harishankar Kalidas Vadhvanwala
Publisher: Bhogilal Tarachand Shah
View full book text
________________
(१०) शब्दार्थः-श्रात्मस्वरूपने न पामेलाने गाम अने अरण्य एम बे प्रकारे निवास स्थान तथा प्रात्मस्वरूग्ने पामेलाने व्याकु लता रहित एवो शुभ आत्माज निवास स्थान . ॥३॥
देदांतरगतेबीजं, देदेऽस्मिन्नात्मनावना ॥ बीजं विदेहनिष्पतेरात्मन्येवात्मनावना ॥ ४ ॥ ___ शब्दार्थः-श्रा देख्ने विषे श्रात्मन्नावना करवी एज बीजा जवनी प्राप्तिनुं कारण जे अने यात्माने विषे आत्मनावना करवी एज मोक्ष प्राप्तिनुं बीज . ॥ ४ ॥ . .
नयत्यात्मानमात्मैव, जन्मनिर्वाणमेववा ॥ गुरुरात्मात्मनस्तस्मान्नान्योऽस्ति परमार्थतः ॥७॥
शब्दार्थः-श्रात्मा आ देहादिकने विषे प्रात्मजावना वश्यथ। पोताने संसारमा जटकावे अने आत्माने विषे श्रात्मजावनाना वश्यथी पोताने मोक्ष प्रत्ये पमामे बे, माटे परमार्थथी आत्मानो गुरु तो आत्माज जे. बीजो कोइ नथी. ॥ ५ ॥ दृढात्मबुभिर्देवादावुत्पश्यन्नाशमात्मनः॥ मित्रादिनिर्वियोगं च, बिन्नेति मरणाद्वाशम् ॥७॥
शब्दार्थः-देहादिकने विषे दृढ एवो श्रात्मबुद्धिवालो बहिरात्मा पोताना मरणने जोतो बतो अने मित्रादिकना वियोगने जाणतो तो मृत्युथी बहु लय पामे ॥ ६ ॥
आत्मन्येवात्मधीरन्या, शरीरगतिमात्मनः ॥ मन्यते निर्नयं त्यक्तवा, वस्त्रं वस्त्रांतरग्रहम् ॥ ७॥ __ शब्दार्थः-एक वस्त्रने त्यजी द बीजा वस्त्रने ग्रहण करवा नो पेठे श्रात्माने विषेधात्मबुद्धिवालो अंतरात्मा जय रहितपणे शरीरनी परिणतिने (बाल्यादि अवस्थाने) पोताथी जुदो माने

Page Navigation
1 ... 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242