Book Title: Prakarana Ratnakar Part 2
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 5
________________ प्रस्तावना. या पंचमकाल समाप्तिना श्रवसरे बेला दूप्पसहनामा याचार्य थशे, तेमना नि वसुधी जिनधर्मरूप मानससरोवरना साधु, साध्वी, श्रावक तथा श्राविका ए चतु विध संघरूप चार धारा खुला रहेवा जोये. एवं परमेश्वरनु वचन बे. कदाचित काल ना प्रबल प्रभावथी कोई समये कोई यारो न्यूनता पाम्या जेवुं याय तोपण बाकीना चालु रहेला बीजा खाराने प्रजावे समय पाम्याथी ते खारो पण सुधरी जाय बे. च या समयमा पूर्वना समयना करतां घणी न्यूनता थई गएली दीगमां प्रावेले. तुर्विधसंघां साधु तथा साध्वी तो क्वचितज दीगमां यावेळे घने श्रावक तथा श्राविकाओ नुं पण अल्प अस्तित्व बे. तेयोनी ऊपरज धर्मवृद्धि व्याधार राखे बे. धर्म वृद्धि ज्ञाननी वृ दिथी थायले. माटे ज्ञान वृद्धि अवश्य करवी जोयेबे. ज्ञाननी वृद्धि ज्ञानना साधनोनी वृद्धि ऊपर आधार राखे. ज्ञाननां साधनो पूर्वाचार्य कृत ग्रंथोनो जीर्णोद्धार तथा य वलोकन, विद्याज्यास, उत्सुकता, धर्मप्रीति, अनिरुचि, तथा उद्योग प्रमुख बे. पूर्वाचार्यकृत ग्रंथोनो जीर्णोद्धार करणाथी ते समयना पंमितोनुं पांमित्य जाल्या मां प्रावे; मनुष्योनी धर्मकपर केवी रुचि हती ते जगायले. नूत कालथी ते घा वर्तमान कालसुधी वचगालामां धर्म तथा विद्वत्ता प्रमुखनी केटली अधिक न्यूनता थई बेते दीगमां यावे. पूर्वाचार्यो यति श्रम वेठी विद्यान्यास करी मोटा मोटा ग्रंथोनी रचना करता हता तेनो हेतु मात्र धर्मवृद्धि अथवा ज्ञानवृद्धि विना बीजो कांई द तो के गुं ते वात स्पष्ट देखाई खावे. ग्रंथनी रचना करवामां केवल परोपकार विना बीजो का पण स्वार्थ होयले के चुं ? ते कलाय बे. पूर्व कालना करतां हालना वखतमां विद्यायासनो उद्योग केटलो अधिक अथवा न्यून थयो ? ते जलाई यावे. इत्यादि बीजा पण घण हेतु दीगमां यावे. माटे अवश्य प्राचीन ग्रंथोनो जीर्णोद्धार करवो जोये. केमके, ए ज्ञानवृद्धिनुं मुख्य साधन बे. जो पुरातन ग्रंथोनो जीर्णोद्धा र नहीं था, तो कालांतरे विश्वेद थई जवानो संभव बे घने तेतुं यएलुं हाल दीगमां यावेळे, जुवो के हरिरिए चौद शे ने चुमालीश ग्रंथो कथा बे, ते बधानो जीर्णोद्धा र नही थयाथी ते माना केटलाएक ग्रंथोनो हाल पत्तो पण मलतो नथी, एवा बी जा पण नेक सुविहित श्राचार्योना करेला ग्रंथोनो शोध मली शकतो नथी तेनुं कारण पण एज बे. ते केटलुं लखिये ! यद्यपि मारुं एम कहेतुं नथी के व्याज दिवस सुधी को ईए ग्रंथोनो जीर्णोद्धार करयोज नथी, मोटा राजाउ तथा सडकारो वगैरे घणा ज्ञान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 364