Book Title: Prakaran Mala
Author(s): Ravchand Jechand Shah
Publisher: Ravchand Jechand Shah

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Page 7
________________ अबरख वस्त्र रंगवा योग तथा तेजंतुरी खारी माटी । इंम माटी पथ्थरनी जात्यो अनेक वे ॥ अनय तूरी ऊसं । मट्टी पाहाण जाईच णेगा॥ सरमो कालो रातो आदि सिंधव साजी समुद्र लवणादी। इंम प्रथवी कायना नेद ए आदे देइने ॥ ४ ॥ सोवीरंजण लोणाई। पुढवि नेयाई ईच्चाई ॥४॥ | जुमी ते कुप आदिनां आकाश ते मेघनां पाणी। नेसनां हिमनां करानां लिलि घासनां धुअरनां ॥ नोमंतरिक मुदगं। नसा हिम करग हरितणू महिया॥ होय थीज्या घी जेवां वैमान आधार जल आदे देइने। नेद अनेक अपकायना ॥५॥ हुँति घणोदहि माई । नेया णेगान प्रानस्स॥५॥ म अंगारानो झालानो नरसामयनो। नल्कापातनो वजनो क पीयानो वीजली आदेनो ए॥॥ इंगाल जाल मुम्मुर। नका सणि कणग विजु माईया॥ अग्नीकायना जीवना नेद । जाणवा नीपुणपणानी बुद्दीए करीने॥६॥ __ अगणि जियाणं नेया । नायव्वा निनण बुद्धीए॥६॥ उद्लट वा उंचो वायरो नकली पमे ते वायरो। मंगलवायरो वंतो लीयो महावात थोमो थोमो वाइं ते वात गुंज्य वात || नभ्यामग नक्कलिआ । मंझलि मह सुघ गुंजवायाय॥ घनवात थीज्या घी समान तनवात ताव्या घी समान ए यादी। जेद निश्चे वायुकायना ॥॥ घण तणु वाया श्या । नेया खलु वायुकायस्स ॥॥ -

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