Book Title: Pragnapanopangamsutram Part 02
Author(s): Malaygiri, 
Publisher: Agamoday Samiti

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Page 8
________________ पदानामनुक्रमः प्रज्ञापना याः पदानि १-प्रज्ञापनापदम् २-स्थानपदम् ३-अल्पबहुत्वपदम् ४-स्थितिपदम् ५-पर्यायपदम् ६-उपपातोद्वर्तनापदम् ७-उच्छासाख्यं पदम् ८-संज्ञाख्यं पदम् ९-योनिपदम् १०-चरमाचरमपदम् ११-भाषापदम् १२-शरीरपदम् श्रीप्रज्ञापनोपाङ्गस्यानुक्रमणिका ॥ पत्राकाः । पदानि पत्राङ्काः । पदानि ११३-परीणामपदम् २८४ २५-कर्मवेदाख्यं पदम् ७१ १४-कषायपदम् २८९२६-कर्मवेदबन्धाख्यं पदम् ११३ १५-इन्द्रियपदम् २९३ २७-कर्मप्रकृतिवेदवेदपदम् १५८ १६-प्रयोगाख्यं पदम् ३१७२८-आहारपदम् १७९१७-लेश्यापदम् ३३०२९-उपयोगाख्यं पदम् २०४ १८-कायस्थितिपदम् ३७४ ३०-पश्यत्ताख्यं पदम् २१९ १९-सम्यक्त्वपदम् ३९५३१-संज्ञापरिणामपदम् २२१ २०-अन्तक्रियापदम् - ३९६ ३२-संयमयोगाख्यं पदम् २२४ २१-अवगाहनापदम् . ४०७ ३३-ज्ञानपरिणामाख्यं पदम् २२८ २२-क्रियाख्यं पदम् ४३५ ३४-प्रवीचारपरिणामाख्यं पदम् २४५२३-कर्मप्रकृतिपदम् . . ४५३ ३५-वेदनाख्यं पदम् २५९/२४-कर्मप्रकृतिबन्धपदम् ४९१ ३६-समुद्घाताख्यं पदम् पत्राहा ४९४ ४९५ ४९७ ४९८ ५२५ ५२८ ५३३ ५३५ ५३५ ॥१॥ ५५३ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.janelibrary.org

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