Book Title: Praching Poojan Sangrah
Author(s): Ram Chandra Jain
Publisher: Samast Digambar Jain Narsinhpura Samaj Gujarat

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Page 9
________________ __ * भट्टारक हेमचन्द्र * . दिगम्बर सम्प्रदाय के काष्ठासंघ में रामसेनाचार्य की शिष्य परंपरा में अनेको भट्टारक हुए हैं। जिनमें से १०... वें पट्ट पर भट्टारक हेमचन्द्र हुए हैं। पवित्र तीर्थ भूमि केशरियाजी के पास स्थित टोकर गांव को भापका जन्म स्थान बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। पाप बीसा नरसिंहपुरा जाति में उत्पन्न हुए थे। वि० स. १८४५ के करीब भनेमीसेन ने भापको शिष्य बनाया या। भट्टारक पद पर भासीन होने के बाद आपने अनेक मंदिरों की प्रतिष्ठार कराई, तीर्थों की यात्रा को पर्थ समाज में धर्म प्रचार किया। आपके जीवन में दो महत्वपूर्ण उल्लेखनीय पर्य हुए हैं जो कि भधारकीय चमत्कारों को समीचीन मानने के लिये विवश करते हैं । खाधु में मन्दिर के पीछे एफ छुआ खुधाया गया था। जिसका पानी समित इससे लब लोग निराश हए और विचार करने लगे कि कुत्रा वापस पूर दिया जाय । तब महाराज श्री ने कहा किहमने तो श्रीजी के पूजन प्रक्षाल व पीने के उपयोग के लिये कुत्रा खुदवाचा था यदि पानी पीने के लिये उपयुक्त नहीं है तो दूसरे काममें तो आयगा ही इस पर किसीने कह दिया कि महाराज ऐसा था तो पहले ही स्थान का परिक्षण कर के कुप्रा खुदवाना था इस पर महारज श्री तत्काल बन्न जल का त्याग कर किसी साधना में लग गए। अनंतर मंदिर के पुजारी से वहां की पोई नदी का मोठा जल मंगवाकर उसे मंत्रित कर कुए में दलवा दिया और लोगों से कह दिया कि अब कल से कुए का पानी काम में लाया जाय। दूसरे दिन लोगों ने पानी को देखा तो पानी पदिया मंठा और हल्का हो गया था। इस चमत्कार की बात सारे गांवमें फैल गई और लोग भट्टारक हेमचन्द्र की प्रशसा करने लगे। इसी प्रकार दूसरा चमत्कार प्रतापगढ़ के पास ब्रह्मोत्तर (शांतिनाथ) में हुआ था वहां बीसा नरसिंह पुरा नाति के १०० घर थे। यहां की जातष्ठा के लिये उनके गाछ के भतारक जी नहीं था सके अतः ॥१२॥ -

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