Book Title: Prachin Jain Smarak Madhyaprant Madhya Bharat Rajuputana
Author(s): Shitalprasad
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 7
________________ 9 भूमिका। इस पुस्तकमें ब्रह्मचारीनीने मध्यप्रदेश, नव्यमारत और राजपुताना इन तीन प्रान्तक जन स्मारकोन्ना परिचय दिया है। मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश दो भागों में क्या हुआ है:-३) मध्यप्रान्त स्वास निसने १८ जिले हैं और (२) वरार निसने चार मिले हैं। मध्यप्रांत खासन्नो गोंडवाना भी कहते हैं कारणकि एक तो यहां गोंडोंची संख्या बहुन है, दूसरे मुसलमानी समयके लगनग यहां अनेक गोंड घरानोंका राज्य रहा है। यह प्रान्त संचतिने बहुत पिछड़ा हुआ गिना जाता है, और लोगोंका स्याल है कि इस प्रान्तका प्राचीन इतिहास कुछ महत्वपूर्ण नहीं रहा, पर यह लोगोंगी भारी भूल है। ययाने भारत प्राचीन इतिहास इस प्रान्त बहुत ऊंचा ज्यान है। प्राचीन यों और शिलान्तोंसे मिद होता है कि यह प्रान्त कोशल देशका दक्षिणी भाग था । इसीसे यह दक्षिणकोमल ऋचा गया है। इसके सर उत्तरकोशल था । दक्षिणोशलका विस्तार उत्तरकोशलो नविक होने कारण उसे महानशल मी कहते थे। कलचुरि नरेशॉक शिलालेखोंने इसका यही नाम पाया जाता है। इस प्रान्तका पौराणिक नान दण्डकारण्य है जो विन्थ्य और सनपुडान रमगीन वनत्यलोंसे व्यात है। रामायण क्या-पुत्व रानचन्द्रने अपने प्रवास के चौदह वर्ष व्यतीत करने के लिये इसी मूमागने चुना था ! उस समय यहां अनेक ऋषि मुनियोंकि आश्रम दे और वानरवंशी राजाओंना राज्य था। वारनीति

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