Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 02 Author(s): Sudarshanacharya Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar View full book textPage 4
________________ सम्मति और धन्यवाद गुरुकुल झज्जर के सुयोग्य स्नातक पं० सुदर्शनदेव आचार्य न “पाणनायअष्टाध्यायी-प्रवचनम्" नाम से पाणिनीय व्याकरण “अन्टाध्यायी" की संस्कृत और राष्ट्रभाषा हिन्दी में व्याख्या की है। संस्कृत भाषा में प्रत्येक सूत्र का पदच्छेद, विभक्ति, समास, अनुवृत्ति, अन्वय, अर्थ और उदाहरण लिखकर सूत्रों की सुबोध व्याख्या की है। “आर्यभाषा" नामक हिन्दी टीका में पदोल्लेखपूर्वक अर्थ, उदाहरण तथा उदाहरणों का हिन्दी भाषा में अर्थ और सूत्रनिर्देशपूर्वक कच्ची एवं पक्की सिद्धि भी साथ-साथ दी गई है। अनेक स्थलों को स्पष्ट करने के लिए विशेष" नामक टिप्पणी भी दी गई है। अष्टाध्यायी (प्रथमावृत्ति) पर संस्कृत और हिन्दी भाषा में अभी तक इससे उत्तम और सुबोध वृत्ति प्रकाशित नहीं हुई है। यह ग्रन्थ व्याकरणशास्त्र अध्येता छात्र-छात्राओं तथा व्याकरण जिज्ञासु स्वयंपाठी स्वाध्यायशील सज्जनों के लिए भी अत्यन्त उपयोगी है। इस ग्रन्थ को पांच भागों में प्रकाशित किया जारहा है। प्रथम भाग (१-२ अध्याय) और द्वितीय भाग (तीसरा अध्याय) छपकर तैयार होगये हैं। तृतीय भाग (४-५ अध्याय) प्रेस में छप रहा है। चतुर्थ भाग (६ अध्याय) और पञ्चम भाग (७-८ अध्याय) भी शीघ्र ही प्रकाशित करने की योजना है। अष्टाध्यायी के ३९८९ सूत्रों की व्याख्या ५ भागों में पूरी होगी। प्रत्येक भाग में २३४३६/१६ आकार के लगभग ६०० पृष्ठ हैं। ६००४५=३००० पृष्ठों के सजिल्द ५ भागों का मूल्य ५०० रुपये है। अग्रिम ग्राहकों को ४०० रुपये में सुलभ होंगे। इसका प्रकाशन श्रद्धेय स्वामी ओमानन्द सरस्वती आचार्य गुरुकुल झज्जर के आदेशानुसार "ब्रह्मर्षि स्वामी विरजानन्द आर्ष धर्मार्थ न्यास गुरुकुल झज्जर" की ओर से लगभग ५ लाख रुपये की लागत से किया जारहा है। इस विशाल और श्रेष्ठ प्रकाशन के लिए लेखक और प्रकाशक सभी धन्यवाद के पात्र हैं। आचार्य प्रिंटिंग प्रेस, दयानन्दमठ, रोहतक दूरभाष : ०१२६२-४६८७४ वेदव्रत शास्त्री मन्त्री आर्य प्रतिनिधि सभा हरयाणा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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