Book Title: Panchvastukgranth Part 1
Author(s): Haribhadrasuri, Rajshekharsuri
Publisher: Arihant Aradhak Trust

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Page 295
________________ २७० ] [पञ्चवस्तुके गाथाङ्क: गाथाङ्क: १२४२ १२४३ १२३० १०५६ १२३५ ३८८ ९९१ १०११ १३८ १५६५ ४०३ ९०१ १७११ ५०५ १५०० १३८४ ९९४ ११७६ २८५ १४६० १४२० ९८२ १३७ गाथाद्यचरणम् अह तं ण एत्थ रूढं अह तं वेअगं खलु अह तेसिं परिणामे अह देसणाइ णेवं अह पाढोऽभिमउच्चिअ अह भुंजिऊण पच्छा अह वक्खाणेअव्वं अह वयपरिआएहिं अह वंदिउं पुणो अहवाऽऽणाभंगाओ अहवा उभयमुहं अहवा वत्थुसहावो अहवा वि चक्कवाले अह सत्तमम्मि दिअहे अह समयविहाणेणं अह सुत्तभावणं अह होज्ज निद्धमहुराई अहिआसिया उ अंतो अहिकंखंतेहिं सुभासिआई अहिगणिवित्तीवि इहं अहिगय णाउस्सग्ग अहिगयरं गुणठाणं अहिगयसत्थपरिण्णा अंगारमद्दगस्सवि अंगीकयसाफल्लं अंगुट्ठअंगुलीहिं अंतो निअसणी अंतो निरवयवि अंबस्स य निंबस्स १४२५ १४६९ १३६३ गाथाद्यचरणम् आ आईओच्चिअ पडिबंधआगमपरतंतेहि आगारेहिं विसुद्ध आचेलक्कुद्देसिअ आणा इत्थ पमाणं आणागिज्झो अत्थो आणापरतंतो सो आरभडा सम्मदा आभिग्गहिए सद्धा आभोएउं खेत्तं आमे घडे निहत्तं आयपरपरिच्चाओ आयपरसमुत्तारो आयरिअ-उवज्झाए आयरिअ-उवज्झाए आयरिअसिद्धसेणेण आयरिए अ गिलाणे आयरिओ सामइयं आयरियनिसिज्जाए आररियाई सव्वे आयहिअपरिण्णा आयहिअमजाणतो आयहिअं जाणतो आयंको जरमाई आयंबिले अनियमो आयाणे निक्खेवे आयापवयणसंजम आयारवत्थु तइअं आरंभच्चाएणं आरंभपरिग्गहओ ३५७ ४४१ १००७ १२७५ ६६७ १४९२ ६१३ ५६५ ४७३ ४६९ १०४८ ८२० ४४९ ९६६ १५१ ५५५ ६०३ ६९२ २३५ ८२८ ३९० ७३६ ५५६ ५५७ १४३२ १५२ ८१५ ४१९ .१४२९ १३०६ २०५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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